महराजगंज। विधानसभा चुनाव की तिथि घोषित होते ही जिले का सियासी ताप बढ़ गया है। सभी दल अपने हिसाब से गोटियां बिछाने में जुटे हैं। हालांकि प्रमुख पार्टियों की तरफ से उम्मीदवारों की घोषणा न होने से असमंजस बरकरार है। केवल आम आदमी पार्टी ने फरेंदा को छोड़ अन्य विधानसभा क्षेत्रों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की है।
जूम मीटिंग के लिए सक्रिय हो रहा पार्टियों का आइटी सेल
2017 के चुनाव में महराजगंज, फरेंदा, सिसवा व पनियरा विधानसभा क्षेत्र की सीट पर भाजपा के उम्मीदवारों ने अपना कब्जा जमाया था। नौतनवा की सीट पर निर्दल प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। इस बार सभी दल जोर आजमाइश कर बेहतर प्रदर्शन करने में जुटे हैं। हर विधानसभा में कई चेहरे टिकट के दावेदार हैं। कोरोना के चलते रैलियों व सभाओं पर प्रतिबंध लगने से स्थानीय स्तर पर जूम मीङ्क्षटग के लिए पार्टियों के आइटी सेल को भी सक्रिय किया जा रहा है।
प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवार घोषित न होने से असमंजस में कार्यकर्ता
कभी कम्युनिस्टों का गढ़ रहे फरेंदा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का कब्जा है। किसी पार्टी की तरफ से प्रत्याशी घोषित न किए जाने से कार्यकर्ता उहापोह में हैं। हर दल के करीब पांच से छह उम्मीदवार क्षेत्र में घूम अपने को पार्टी का संभावित प्रत्याशी बता रहे हैं। जिले की चर्चित सीट में शुमार नौतनवा विधानसभा में दिलचस्प मुकाबले की उम्मीद है। निर्दल विधायक नए ठौर की तलाश में हैं , वहीं बीते चुनाव में दूसरे स्थान पर रही सपा भी यहां से जोर लगा रही है। 2017 के चुनाव में तीसरे स्थान पर सिमटी भाजपा से भी कई दिग्गज टिकट मांग रहे हैं। लंबे समय से पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी व पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश ङ्क्षसह के परिवार के बीच उलझे यहां के सियासी समीकरण में सेंघमारी के प्रयास मेंं भाजपा जुटी है।
टिकट के लिए छिड़ा घमासान
सिसवा विधानसभा क्षेत्र में चुनाव से पूर्व ही लड़ाई दिलचस्प हो गई है। भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर नेताओं के पाला बदलने से यहां टिकट के लिए घमासान छिड़ा है। राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियों के कई नेता क्षेत्र में घूम अपने को पार्टी का संभावित उम्मीदवार बता रहे हैं। महराजगंज सदर विधानसभा सीट पर भी इस बार मुकाबला रोचक होगा। यहां कई चेहरे समय के साथ घर बदलने के लिए समीकरण साध रहे हैं। कभी पूर्व मुख्यमंत्री वीरबहादुर ङ्क्षसह की कर्मभूमि रही पनियरा विधानसभा में भी रोचक सियासी संग्राम की पटकथा लिखी जा रही है। अल्पसंख्यक बहुल इस क्षेत्र में हर दल के सात-से आठ नेता अपने को पार्टी का चेहरा बता कर चुनावी जमीन तैयार करने में जुटे हैं।