UP Election: फिर सुर्खियों में प्रयागराज बनाम इलाहाबाद, क्या है पूरा मामला

UP Election: फिर सुर्खियों में प्रयागराज बनाम इलाहाबाद, क्या है पूरा मामला
  • इस मामले में एक और दिलचस्प मोड़ सामने आया जब आठ जनवरी को चुनाव आयोग की ओर से चुनावी कार्यक्रम की घोषणा करते हुए दी गई विज्ञप्ति और चरणवार विधानसभा क्षेत्रों की जारी सूची पर ध्यान दिलाया गया. उसमें भी प्रयागराज की जगह इलाहाबाद लिखा हुआ है. 

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बीच नाम को लेकर प्रयागराज और इलाहाबाद एक बार फिर सुर्खियों में है. जारी चुनाव प्रक्रिया के बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा के दौरान प्रयागराज लिखा तो विपक्षी समाजवादी पार्टी ने पुराने नाम इलाहाबाद लिखकर ही सूची जारी की. इसके बाद मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया. सपा और उसके प्रमुख अखिलेश यादव को इस मौके पर घेरते हुए बीजेपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा,’ जो जिन्ना से करे प्यार, वो मुगल निशानियों से कैसे करे इनकार.’ इसके लिए बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की सूची भी शेयर की. जिसमें उन्होंने प्रयागराज को इलाहाबाद लिखा है.

इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर तंज से भरा ट्वीट किया. उन्होंने लिखा-‘ वे जिन्ना के उपासक है, हम ‘सरदार पटेल’ के पुजारी हैं, उनको पाकिस्तान प्यारा है, हम मां भारती पर जान न्योछावर करते हैं.’ उसके बाद राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने भी लखनऊ में प्रेस-कांफ्रेंस कर सपा और अखिलेश पर निशाना साधा. इसके बाद देर शाम को फिर बीजेपी ने प्रयागराज को इलाहाबाद लिखने पर अखिलेश को निशाने पर लिया.

नाम बदलने के मामले में ऐसे आया दिलचस्प मोड़

प्रयागराज में इलाहाबाद वाले दो निर्वाचन क्षेत्र इलाहाबाद पश्चिमी और इलाहाबाद दक्षिण विधानसभा सीट हैं. बीजेपी ने इन सीटों पर क्रमश: पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और नंद कुमार गुप्ता नंदी को उम्मीदवार बनाया है. इस मामले में एक और दिलचस्प मोड़ सामने आया जब आठ जनवरी को चुनाव आयोग की ओर से चुनावी कार्यक्रम की घोषणा करते हुए दी गई विज्ञप्ति और चरणवार विधानसभा क्षेत्रों की जारी सूची पर ध्यान दिलाया गया. उसमें भी प्रयागराज की जगह इलाहाबाद लिखा हुआ है.

परिसीमन आयोग बदल सकता है निर्वाचन क्षेत्रों का नाम

इस बारे में चुनाव आयोग की ओर से उप निर्वाचन आयुक्त सीबीके प्रसाद ने बताया कि दरअसल निर्वाचन क्षेत्र का नाम परिसीमन आयोग ही तय करता है. कोई भी सरकार शहर या जिले का नाम तो बदल सकती है, लेकिन चुनाव क्षेत्रों  के नाम बदलनेके लिए उनके पास बहुत सीमित अधिकार हैं. यह अधिकार परिसीमन आयोग का ही होता है. उन्होंने बताया कि जैसे सरकारों ने कलकत्ता को कोलकाता, बंबई को मुंबई और मद्रास को चेन्नई और इलाहाबाद को प्रयागराज कर दिया. इसके बावजूद यहां के हाई कोर्ट्स के नाम अब भी पुराने यानी कलकत्ता, बॉम्बे, मद्रास और इलाहाबाद के नाम से ही जाना जाता है. उन्होंने कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों को लेकर जब नए परिसीमन आयोग का गठन होगा तब वही निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा, नाम, मतदाताओं की संख्या वगैरह में बदलाव कर सकेगा.

प्रयागराज- इलाहाबाद -प्रयागराज : नाम का इतिहास

संगम नगरी इलाहाबाद को 450 वर्षों के बाद साल अक्टूबर 2018 में अपना पुराना नाम प्रयागराज वाप‍स मिला था. कभी मुगल शासक अकबर ने करीब 1574 में प्रयागराज से नाम बदलकर इलाहाबाद (अल्‍लाहबाद) किया था. पुराणों में प्रयागराज का कई जगहों पर जिक्र मिलता है. रामचरित मानस में इलाहाबाद को प्रयागराज ही कहा गया है. कहा जाता है कि वन गमन के दौरान भगवान श्री राम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर आए थे, जिसके बाद इसका नाम प्रयागराज पड़ा. मत्स्य पुराण में भी इसका वर्णन करते हुए लिखा गया है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती है. यूपी चुनाव 2017 और लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान भी इसके नाम बदलने को लेकर जोर-शोर से मांग उठी थी. मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने उस दौरान वादा किया था कि अगर बीजेपी की सरकार आई तो इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज जरूर किया जाएगा.

प्रयागराज में क्या बदला और क्या नहीं बदला

उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इलाहाबाद का सरकारी नाम प्रयागराज को हो गया, लेकिन अभी भी बहुत सारी जगहों के नाम नहीं बदल सके हैं. सराकरी भवनों की तरह रेल मंत्रालय ने रेलवे जंक्शन का नाम भी प्रयागराज कर दिया. वहीं बड़े जगहों में खासकर केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय और इलाहाबाद हाईकोर्ट का नाम पहले की तरह ही है. निर्वाचन क्षेत्र भी इलाहाबाद पश्चिमी और इलाहाबाद दक्षिण ही दर्ज है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग के एक दस्तावेज में मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी के नाम में प्रयागराजी दर्ज हो जाने को लेकर भी काफी हंगामा मच गया था.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का पूरा शेड्यूल

राजनीतिक रूप से अहम उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार सात चरणों में मतदान संपन्न होगा. इसकी शुरुआत 10 फरवरी को राज्य के पश्चिमी हिस्से के 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान के साथ होगी. दूसरे चरण में 55 सीटों पर मतदान होगा. 20 फरवरी को तीसरे चरण में 59 सीटों पर, 23 फरवरी को चौथे चरण में 60 सीटों पर, 27 फरवरी को पांचवें चरण में 60 सीटों पर, तीन मार्च को छठे चरण में 57 सीटों पर और सात मार्च को सातवें चरण में 54 सीटों पर मतदान होगा. मतों की गिनती 10 मार्च को की जाएगी.