लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव शुक्रवार को रामनगरी अयोध्या पहुंचने के साथ ही हनुमान गढ़ी के दर्शन-पूजन कर ‘साफ्ट हिंदुत्व’ के अपने एजेंडे को धार देते हुए भाजपा को जवाब देने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने उन्होंने रोड शो के दौरान कई साधु-संतों को भी अपने साथ रखा।

दरअसल, भाजपा अयोध्या में रामलला के दर्शन न करने को लेकर अखिलेश यादव को घेरती रहती है। भाजपा कहती रही है कि अखिलेश इसलिए दर्शन नहीं करने जाते क्योंकि उन्हें अल्पसंख्यक मतों के खिसकने का डर है। भाजपा के इन आरोपों का अखिलेश ने शुक्रवार को अयोध्या में हनुमान जी के दर्शन करने के साथ ही यह कह कर दिया कि मंदिर बन जाने पर राम लला के भी दर्शन करेंगे।

भाजपा यह भी कहती रहती है कि सपा सरकार बनने पर अयोध्या का विकास रुक जाएगा और मंदिर निर्माण भी बाधित होगा। इसके जवाब में अखिलेश यादव ने अयोध्या से लखनऊ वापसी के दौरान हेलीकाप्टर से सरयू नदी के तट पर उनकी सरकार में बने भजन स्थल की फोटो ट्वीट की। अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में कहा कि ….ये हमारा सौभाग्य था कि हमें सरयू के तट पर अद्वितीय ‘भजन स्थल’ बनाने का और आज उसके विहंगम आकाशीय दर्शन करने का परम सौभाग्य मिला।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वर्ष 2015-16 में करीब 15 करोड़ रुपये खर्च कर यह भजन स्थल बनवाया था। अखिलेश ने इसकी याद दिलाते हुए यह संदेश देने की कोशिश कि उनकी सरकार में भी अयोध्या के विकास के लिए कई काम किए गए थे। फिर सरकार बनने पर भी अयोध्या का विकास नहीं रुकेगा।

बता दें कि पांचवें चरण के चुनाव प्रचार का शुक्रवार को सायं समापन हो रहा था और सपाध्यक्ष अखिलेश यादव रामनगरी से रिश्ते की डोर को मजबूत कर रहे थे। यह पहला अवसर था, जब अखिलेश रोड शो के माध्यम से रामनगरी के लोगों से सीधे मुखातिब थे। रोमांच इतने तक ही सीमित नहीं था। वह उस रामनगरी में थे, जो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की धुरी है और राजनीतिक भाषा में भगवा दुर्ग के नाम से विख्यात है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को ही रोड शो के जरिये बड़ी लकीर खींचकर शुक्रवार को पूर्वाह्न रामलला और बजरंगबली का दर्शन कर लौटे हैं। इसके बावजूद अखिलेश ने रामनगरी में अपनी उपस्थिति की सशक्त अनुभूति कराई।