लखीमपुर। उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को सात साल पुराने मामले में लखीमपुर की अदालत ने बरी कर दिया है। चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के मुकदमे में आरोप सिद्ध नहीं होने पर एडीजे तृतीय रामेंद्र कुमार ने जितिन प्रसाद को दोषमुक्त कर दिया। अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में असफल रहा, जिसके चलते संदेह का लाभ देते हुए अदालत ने जितिन प्रसाद को दोषमुक्त कर दिया।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान 25 अप्रैल को फ्लाइंग स्क्वाड मजिस्ट्रेट वादी मुकदमा नरेश चंद्र ने थाना मितौली में तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी जितिन प्रसाद व मितौली ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष रामसागर मिश्रा के विरुद्ध चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। दोनों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल हुआ।
हाई कोर्ट इलाहाबाद के आदेश पर मुकदमे का विशेष (एमपी-एमएलए कोर्ट) एडीजे तृतीय की अदालत में परीक्षण किया गया। अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए गवाह घटना को साबित करने में असफल रहे। जितिन प्रसाद ने अपने सफाई साक्ष्य में प्रशासनिक दबाव में झूठा मुकदमा दर्ज होना बताया।
जितिन प्रसाद के अधिवक्ता राजीव अग्निहोत्री व पंकज शुक्ल ने अपनी बहस में कहा कि घटना का कोई स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया गया है। घटना संदिग्ध है। एडीजे रामेंद्र कुमार ने जितिन प्रसाद को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। मुकदमे के दौरान रामसागर मिश्रा की मौत हो गई।
बोले जितिन, न्याय पालिका पर पूरा भरोसा : प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि तत्कालीन सपा सरकार की कुंठित मानसिकता के कारण यह झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया था। जितिन ने कहा कि उन्हें न्याय पालिका पर पूरा भरोसा था कि न्याय मिलेगा। इसी के चलते आज उन्हें दोषमुक्त किया गया।
