यूपी उपचुनाव: सीएम योगी की प्रतिष्ठा पर दांव, अखिलेश यादव की पीडीए का होगा असली इम्तिहान, जानें सियासी समीकरण

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में सियासी घमासान चरम पर है। आज नामांकन का आखिरी दिन है, और इसे आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माना जा रहा है। 9 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे इस उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने 8 उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि एक सीट पर सहयोगी दल आरएलडी को मौका दिया है। बीजेपी, एसपी, और बीएसपी ने नॉमिनेशन से एक दिन पहले ही अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है।
बीजेपी ने 9 में से 8 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं और मीरापुर सीट आरएलडी को सौंपी है। समाजवादी पार्टी (एसपी) ने सभी 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने भी सभी नौ सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए हैं। कांग्रेस ने इस सियासी सेमीफाइनल से खुद को अलग रखते हुए उपचुनाव में कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है, जो समाजवादी पार्टी के साथ सीट शेयरिंग में असफलता के चलते है।
इस सेमीफाइनल की जंग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर है, जबकि अखिलेश यादव की पीडीए (पिछड़ा, दलित, और अल्पसंख्यक गठबंधन) का लिटमस टेस्ट होगा। इन 9 सीटों में से बीजेपी के पास पहले 5 सीटें थीं, जबकि 4 सीटों पर एसपी का कब्जा था।
योगी के लिए महत्वपूर्ण चुनौती
2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीद से कम प्रदर्शन के बाद पार्टी में हलचल मची थी और अब उपचुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए प्रतिष्ठा की बात बन गए हैं। इन चुनावों को पार्टी की छवि मजबूत करने के मौके के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी ने इसके मद्देनजर खुद मोर्चा संभाला और चुनावी क्षेत्रों में दौरा किया। उन्होंने जनता को आकर्षित करने के लिए रोजगार मेले और विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की।
योगी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठित करते हुए सपा के किलों में सेंध लगाने की रणनीति बनाई। उन्होंने तीन मंत्रियों के समूह बनाए, जो कि हर निर्वाचन क्षेत्र के प्रचार का नेतृत्व कर रहे हैं। इस बार बीजेपी ने 8 सीटों में से 4 पर ओबीसी उम्मीदवार उतारकर अपने आधार को मजबूत करने का प्रयास किया है।
अखिलेश यादव का पीडीए पर भरोसा
दूसरी ओर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव पार्टी कार्यालय के चुनावी वार रूम में बैठकर ही अपने अभियान को सूक्ष्म प्रबंधन दे रहे हैं। अखिलेश का पीडीए फॉर्मूला, जिसने लोकसभा चुनावों में गठबंधन को मजबूत किया, यहां भी उनकी प्रमुख रणनीति है। लोकसभा चुनाव में सपा उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और पीडीए फॉर्मूले के चलते इंडिया गठबंधन ने एनडीए को टक्कर दी थी।
अखिलेश यादव इस उपचुनाव में भी बूथ समितियों को मजबूत कर रहे हैं, और पार्टी नेताओं को हर निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता सूचियों की जाँच और सोशल मीडिया उपस्थिति को बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, वे भाजपा के मजबूत आधार क्षेत्रों में भी पार्टी बैठकों का आयोजन कर रहे हैं।