UP चुनाव से पहले कांशीराम वाले अंदाज में लौटेंगी BSP चीफ मायावती, नोएडा से शुरू होगा अभियान
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती 6 दिसंबर को नोएडा में एक बड़ी रैली करने जा रही हैं. यह दिन बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है. ऐसे में मायावती की यह रैली न सिर्फ बाबा साहेब के लिए श्रद्धांजलि होगी, बल्कि आगामी राजनीतिक हलचलों का संकेत भी मानी जा रही है.
बहुजन समाज पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस रैली के जरिए मायावती एक बार फिर अपनी सियासी ताकत का प्रदर्शन करेंगी और विरोधियों को यह संदेश देने की कोशिश करेंगी कि बसपा का कैडर आज भी उनके साथ मजबूती से खड़ा है.
2027 से पहले एक्शन में मायावती
पार्टी सूत्रों के मुताबिक मायावती इस बार यूपी विधानसभा चुनाव 2027 से काफी पहले ही सक्रिय हो गई हैं. अक्टूबर में लखनऊ की रैली और नवंबर में दिल्ली में पांच महत्वपूर्ण बैठकों के बाद अब नोएडा की रैली से वह अपनी जमीन को दोबारा मजबूत करने के मिशन पर हैं. सूत्रों का दावा है कि यह तो अभी बस ट्रेलर है, असली पिक्चर में मायावती मुख्य किरदार बनकर लौटने की तैयारी कर चुकी हैं.
गौरतलब है कि 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद से मायावती की राजनीतिक सक्रियता धीरे-धीरे कम होती गई. इसका असर बसपा की सीटों और वोट शेयर पर साफ दिखा. 2007 में 206 सीटें और 30.4% वोट शेयर पाने वाली बसपा 2012 में 80 सीटों पर सिमट गई, 2017 में 19 सीटों पर आ गई और 2022 में पार्टी केवल 1 सीट पर सिमट गई. वोट शेयर भी लगातार घटते हुए 13% तक पहुंच गया.
जमीन पर पार्टी को मजबूत करने की रणनीति
ऐसे में 2027 का चुनाव बसपा के लिए अस्तित्व की लड़ाई जैसा माना जा रहा है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मायावती अब जमीन पर ज्यादा समय बिताने की तैयारी में हैं. जानकारी के मुताबिक वह यूपी के सभी 18 मंडलों में नाइट कैंप करेंगी.
इससे पहले उन्होंने ऐसा कैंपेन सिर्फ संस्थापक कांशीराम के साथ किया था, जब वह साइकिल से गांव-गांव घूमकर संगठन खड़ा कर रही थे. लंबे समय बाद वह उसी पुराने अंदाज में कार्यकर्ताओं के बीच लौटेंगी. नाइट कैंप का मतलब सिर्फ बैठकें नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं के साथ दिन-रात गुजारना, उनकी समस्याएं समझना और उनमें जोश भरना होगा.
अगले साल से शुरू होगा रैलियों का सिलसिला
पार्टी की रणनीति है कि 2026 के फरवरी-मार्च से ही लगातार रैलियों का सिलसिला शुरू कर दिया जाए ताकि कोई इलाका उनकी पहुंच से न छूटे. मायावती अब घर–घर संपर्क अभियान पर भी जोर देने की योजना बना रही हैं, ताकि बसपा का मूल वोट आधार फिर से मजबूत हो सके.
नोएडा की यह रैली आने वाले महीनों में बसपा की सक्रिय राजनीति का शुरुआती संकेत मानी जा रही है. सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या 2027 में मायावती दोबारा अपने पुराने प्रभाव के साथ मैदान में दिखाई देंगी.
