मुरादाबाद । पंचायती राज मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह (Chaudhary Bhupendra Singh) यूं ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नहीं बने हैं। उन्हें संगठन का कुशल शिल्पी माना जाता है। मुश्किल हालात में पार्टी के लिए संकटमोचक बने। वहीं, अपनी व्यवहार कुशलता से पार्टी के अन्य नेताओं के साथ गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) के दिल में स्थान बनाया है। पार्टी ने भी उन्हें हमेशा गुड बुक में रखा।
1989 में ली पार्टी की सदस्यता
जिले के छोटे से गांव महेंद्री सिकंदरपुर के मूल निवासी चौधरी भूपेंद्र सिंह ने 1989 में पार्टी की सदस्यता लेने के बाद विभिन्न पदों पर जिम्मेदारी निभाई। वह कई बार जेल भी गए। 1993 में भाजपा जिला कार्य समिति में सदस्य बनाए गए। 1994 में जिला कार्यकारिणी के कोषाध्यक्ष बने और फिर 1995 में जिला महामंत्री।
चार साल रहे जिलाध्यक्ष
1996 से 2000 तक भाजपा जिलाध्यक्ष रहे। वर्ष 2000 में विभाग संयोजक और 2007 में क्षेत्रीय मंत्री बनाए गए। 2009 में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के रूप में मुरादाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से उपचुनाव लड़ा,पर जीत नहीं पाए। 2010 से 2018 तक वह चार बार क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे। 2016 में उन्हें विधान परिषद भेजा गया, 2022 में उन्हें दोबारा विधान परिषद भेजा गया है।
उनके नेतृत्व में 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया। वहीं, जब भी पार्टी कहीं फंसती दिखाई दी तो संकटमोटक की भूमिका भी निभाई। खास बात यह कि कभी लाइम लाइट में आने का प्रयास नहीं किया। इसका पुरस्कार भी उन्हें मिला। योगी सरकार के दोनों कार्यकाल में उन्हें मंत्री बनाया गया।
जाट मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में किया एकजुट
पंचायत राज मंत्री रहते हुए पंचायत चुनाव में भी पार्टी को प्रदेश में सबसे अधिक जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लाक प्रमुख और भाजपा समर्थित ग्राम प्रधान जीतकर आए। 2022 में जब किसान आंदोलन को लेकर जाट मतदाताओं में नाराजगी होने की आशंका जताई जा रही थी, तब जाटलैंड को साधने में भूपेंद्र चौधरी ने अहम निभाई। चुनाव में अधिकांश समय उन्होंने पश्चिमी के जाट बाहुल्य क्षेत्रों में बिताया।
सपा-रालोद गठबंधन की बनेंगे काट
पिछले दिनों हुए रामपुर उपचुनाव में वोटरों को साधकर भाजपा को जीत दिलाने में भी भूपेंद्र सिंह ने विशेष भूमिका निभाई। अब 2024 के चुनाव से पहले किसान आंदोलन को फिर से हवा दी जाने लगी है। इसमें जाटों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
आंदोलन को देखते हुए भाजपा की रणनीति के हर लिहाज से वह सटीक हैं। पहला वह जाट हैं, संगठन और विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति से भलीभांति परिचित हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव और रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी के गठबंधन को कमजाेर करने में भी भाजपा का दांव ठीक साबित होगा।