यूपी: प्रशासन ने बगैर टेंडर के 50 लाख का सूखा राशन खरीदा, इन फर्मों से हुई खरीदारी

केंद्रीय पशुधन राज्यमंत्री डॉ संजीव बालियान के पत्र के जवाब में प्रशासन ने राशन किट खरीदने में खर्च की धनराशि का ब्योरा दे दिया है। प्रशासन ने बगैर टेंडर के 50 लाख रुपये का सूखा राशन खरीदा है, जिसमें आटा और चावल ही अधिक है। प्रशासन ने टेंडर को यह कहते हुए मना कर दिया गया है कि आपदा में अफसरों को सीधे खरीदारी का अधिकार है। अन्नपूर्णा एग्रो से भी प्रशासन ने सीधे खरीदारी की है।

केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. बालियान के पत्र लिखने के बाद प्रदेश के राज्यमंत्री कपिलदेव अग्रवाल, विधायक उमेश मलिक, विक्रम सैनी और प्रमोद ऊटवाल ने भी जिला प्रशासन से राशन किट पर खर्च की गई धनराशि का ब्योरा मांगा था। इस पर डीएम सेल्वा कुमारी जे ने छुट्टी पर गए एडीएम प्रशासन अमित सिंह को ही बुलाया और जवाब देने के निर्देश दिए।
एडीएम अमित सिंह की ओर से शनिवार को डॉ. बालियान सहित राज्यमंत्री एवं विधायकों को जवाब भेजे गए। जवाब में कहा गया कि एक अप्रैल को खाद्य पदार्थों के जिलास्तर पर गठित कमेटी ने रेट तय किए थे। उसी के आधार पर खरीदारी की गई। दैवीय आपदा को लेकर पूर्व में जारी शासनादेश के आधार पर तहसीलों ने खरीदारी की। तहसील सदर में विभिन्न फर्मों से 38.81 लाख के आटा-चावल के साथ रिफाइंड, नमक, धनिया, आलू, बिस्किट आदि की खरीदारी की गई। खतौली तहसील में एक लाख 36 हजार के आटा-चावल आदि की खरीदारी हुई। तहसील जानसठ में 4.23 लाख और बुढ़ाना तहसील में 5.49 लाख की खरीदारी कर भुगतान किया गया।

इन फर्मों से हुई खरीदारी
जिला प्रशासन ने सदर तहसील में जिन फर्मों से आटे की खरीदारी की है, उनमें खतौली की अन्नपूर्णा एग्रो से भी एक लाख 40 हजार रुपये का आटा खरीदा गया। धीमान एग्रो खांजापुर से एक लाख 35 हजार का, सात्विक फ्लोर मिल से 93,150 का, सिंघल एग्रो वहलना से 16 लाख 80 हजार रुपये का आटा खरीदा गया। नई मंडी की तीन फर्मों से नौ लाख 37 हजार 790 की चावल की खरीदारी बताई गई है। इसी तरह दाल, बिस्किट, आलू, रिफाइंड की खरीदारी दिखाई गई है। अन्नपूर्णा से खतौली तहसील ने भी आटा की खरीदारी की है।

एक लाख तक की खरीदारी का अधिकार
कोरोना आपदा को लेकर जिले में तैनात किए गए नोडल अधिकारी आरएन यादव ने बताया कि आपदा के दौरान शासन ने अब से पहले तहसीलों को 20 हजार तक की खरीद का अधिकार सीधे दे रखा था। हाल ही में इसे एक लाख रुपये तक कर दिया गया। एक लाख से ऊपर की खरीदारी बिना टेंडर के नहीं की जा सकती। यदि सीधे खरीदारी हुई है तो मामला गंभीर है।

 


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