उद्धव ठाकरे ‘मशाल’ की रोशनी में शिंदे की ‘गदा’ से करेंगे मुकाबला!

उद्धव ठाकरे ‘मशाल’ की रोशनी में शिंदे की ‘गदा’ से करेंगे मुकाबला!

Mumbai: महाराष्ट्र में सीएम एकनाथ शिंदे और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे  के बीच मनमुटाव इस कदर बढ़ गया है कि चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न तीर-धनुष के इस्तेमाल पर रोक दी. इसके बाद दोनों गुटों ने चुनाव आयोग को अपनी-अपनी पार्टि के नाम और चुनाव चिह्न दिए हैं. सूत्रों के अनुसार, उद्धव ठाकरे को मशाल तो शिंदे ग्रुप को गदा चुनाव चिह्न मिला सकता है. हालांकि, पार्टी के नाम और चिह्न पर अंतिम फैसला चुनाव आयोग का होगा.

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एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे ग्रुप में चुनाव चिह्न और पार्टी को लेकर फैसला भले ही चुनाव आयोग करेगा, लेकिन दोनों ग्रुप ही तरफ से चुनाव आयोग को पार्टी और चुनाव चिह्न के नाम दिए गए हैं. उद्धव ठाकरे ने EC को अपना चुनाव चिह्न त्रिशूल, उगता हुआ सूर्य और मशाल दिया है, जबकि एकनाथ शिंदे ने अपने चुनाव चिह्न के तौर पर त्रिशूल, उगता हुआ सूर्य और गदा दिया है. उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग को पार्टी के नाम को लेकर 3 नाम दिए हैं, जिसमें शिवसेना बालासाहेब ठाकरे, शिवसेना बालासाहेब प्रबोधनकार ठाकरे और शिवसेना उद्धव बाला साहब ठाकरे शामिल हैं.

वहीं, सीएम एकनाथ शिंदे ने अपनी पार्टी के लिए 3 नाम जो चुनाव आयोग को दिए हैं, उनके नाम शिवसेना बाला साहब ठाकरे, शिवसेना बाला साहब की और बाला साहब की शिवसेना है. दरअसल, इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है हिंदुत्व, इसीलिए दोनों ही पार्टियों ने जो चुनाव चिह्न दिए हैं, उसमें हिंदुत्व को ध्यान में रख कर दिया गया है.

साथ ही पार्टी का नाम शिवसेना और बाला साहब को जोड़कर ही दिया गया है, क्योंकि यह पूरी लड़ाई बाला साहब के हिंदुत्व के विचारों को लेकर है. हालांकि, कल से लगातार उठे सियासी बवाल के बीच महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि चुनाव आयोग ने जो निर्णय लिया है, वह अपने नियम के अनुसार लिया है और इस पर जानबूझकर राजनीति करने की जरूरत नहीं है.

दूसरी तरफ निर्दलीय विधायक रवि राणा ने कहा है कि हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए उनके ऊपर देशद्रोह लगाया गया था, इसीलिए भगवान राम ने अपना धनुष बाण वापस ले लिया. वहीं, शिवसेना के उद्धव गुट से मनीषा कायंदे का कहना है कि बाला साहब को शिवसेना से अलग नहीं किया जा सकता और शिवसेना सिर्फ उद्धव ठाकरे की है. उम्मीद है कि चुनाव चिह्न उनके हक में फैसला करेगा. यानी आने वाले समय में अंधेरी उपचुनाव के मद्देनजर शिवसेना के दोनों ग्रुप में तनाव और बढ़ने वाला है.