मुंबई। किसी जमाने में स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर को भारतरत्न देने के मुद्दे पर भाजपा से उलझने वाली शिवसेना अब अपनी ही सरकार में इस विषय पर कांग्रेस की नीति ढोती दिखाई दे रही है। सावरकर को लेकर एक मंत्री के विवादास्पद फेसबुक पोस्ट को हटाने की नौबत आने के तुरंत बाद आज एक प्रेस विज्ञप्ति भी उद्धव सरकार को जनाक्रोश के कारण वापस लेनी पड़ी है।

रत्नागिरी के गोगटे जोगलेकर महाविद्यालय में सोमवार को ‘डिस्मैंटलिंग कास्टिज्मः लेसन्स फ्राम सावरकर्स इसेनशियल्स आफ हिंदुत्व’ विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई है। इसका उद्घाटन राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी की उपस्थिति में होना है। किंतु राज्य सरकार के सूचना विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के विषय को बदलकर डिस्मैंटलिंग हिंदुत्व कर दिया गया। सरकारी विभाग की इस गलती पर रत्नागिरी के हिंदूवादी संगठनों ने जब आवाज उठाई, तो विभाग ने आनन-फानन में उक्त प्रेस विज्ञप्ति वापस लेकर नई प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।

बता दें कि अंडमान की सेल्यूलर जेल से छूटने के बाद सावरकर को रत्नागिरी में ही नजरबंद किया गया था। इस नजरबंदी के कार्यकाल में ही उन्होंने जातिभेद जैसी सामाजिक कुरीतियां मिटाने के लिए कई प्रयास किए। किंतु यह संदर्भ न समझते हुए सरकारी विभाग द्वारा की गई चूक अब राजनीतिक विवाद का रुख लेने लगी है। क्योंकि यह सरकार बनने के बाद से ही उसका राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के साथ टकराव चला आ रहा है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चलने वाली यह सरकार राज्यपाल के अपमान का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। एक बार तो उन्हें राज्य सरकार के विमान से भी उतारा जा चुका है।

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इस घटना के ठीक एक दिन पहले राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने अपने फेसबुक एवं ट्वीटर एकाउंट पर एक औचित्यहीन पोस्ट में सावरकर का अपमान करने की कोशिश की थी। किंतु जनाक्रोश के बाद उन्हें यह पोस्ट हटानी पड़ी। इस पोस्ट में कांग्रेस नेता नितिन राउत ने इंदिरा गांधी के समय जारी दो डाक टिकटों के चित्र दिए थे। इनमें से एक डाक टिकट सावरकर के चित्र वाला था, तो दूसरे में एक सुनहरा बंदर बैठा दिख रहा था। सावरकर के डाक टिकट की कीमत 20 पैसे थी, और बंदर वाले डाक टिकट की कीमत एक रुपए थी। कीमतों के इस अंतर को लेकर सावरकर पर अभद्र टिप्पणी करते हुए नितिन राउत ने सवाल उठाया था कि, ‘कौन ज्यादा मूल्यवान ?’