उद्धव गुट ने शिंदे-फडणवीस सरकार पर बोला हमला, कहा- बिना कैबिनेट के लिए जा रहे मनमाने फैसले

उद्धव गुट ने शिंदे-फडणवीस सरकार पर बोला हमला, कहा- बिना कैबिनेट के लिए जा रहे मनमाने फैसले
  •  शिवसेना के उद्धव गुट ने शिंदे फडणवीस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि यह सरकार अवैध है क्‍योंकि विधायकों की अयोग्‍यता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है।

मुंबई। महाराष्‍ट्र में मंत्रिमंडल विस्‍तार को लेकर सियासी हमलों का दौर चल रहा है। शिवसेना ने सोमवार को एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की सरकार पर करारा हमला बोला। शिवसेना ने कहा कि मौजूदा सरकार बिना कैबिनेट के मनमाने फैसले ले रही है। शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े का कहना है कि शिंदे-फडणवीस सरकार अवैध है, क्योंकि बागी विधायकों की अयोग्यता पर अभी फैसला नहीं आया है और याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।

मालूम हो कि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने 30 जून को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। तब से कोई कैबिनेट विस्तार नहीं हुआ है। नई सरकार ने आरे में मेट्रो रेल कारशेड, औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने जैसे फैसले भी लिए हैं। शिवसेना ने इस महीने की शुरुआत में राज्यपाल से किसी भी मंत्री को शपथ नहीं दिलाने को कहा था, क्योंकि विधायकों की अयोग्यता को लेकर याचिका पर शीर्ष अदालत का फैसला अभी नहीं आया है।

शिवसेना ने शिंदे और फडणवीस को फिल्म ‘एक दूजे के लिए’ के मुख्य पात्र ‘वासु और सपना’ करार दिया। शिवसेना ने सोमवार को अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा कि दो सदस्यीय सरकार एक ‘असामान्य’ प्रयोग है। सामना के संपादकीय में कहा गया है, “सुप्रीम कोर्ट द्वारा जबरन पुरुष नसबंदी के कारण, उन्हें (शिंदे सरकार) इस स्थिति (कैबिनेट का विस्तार नहीं करने) का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 15 दिनों से महाराष्ट्र में एक मुख्यमंत्री और एक उपमुख्यमंत्री है, लेकिन इसे सरकार नहीं कहा जा सकता है।

हालांकि समाचार एजेंसी पीटीआइ ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि महाराष्ट्र में शिंदे सरकार राष्ट्रपति चुनाव के बाद अपनी कैबिनेट का विस्तार कर सकती है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, नई कैबिनेट के शपथ ग्रहण के बाद 20 या 21 जुलाई को मंत्रियों को विभाग वितरित किए जाने की उम्मीद है। सूत्रों का कहना है कि अगले 10 दिनों के भीतर मानसून सत्र का आयोजन किया जा सकता है। इससे पहले कैबिनेट विस्‍तार से मंत्रियों को अपने विभागों को समझने में मदद मिलेगी, ताकि सदन में वे विपक्ष के सवालों के जवाब दे सकें।