लखनऊ में दो घंटे हाईवोल्टेज ड्रामा, ऐसे पुलिस को धोखा देकर प्रियंका पहुंचीं दारापुरी के घर
प्रदेश की राजधानी शनिवार को सियासी हाईवोल्टेज ड्रामा की गवाह बनी, जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को पुलिस ने उस वक्त जबरन रोक लिया जब वे रिटायर्ड आईपीएस अफसर एसआर दारापुरी की बीमार पत्नी से मिलने जा रही थीं। पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए उनकी कार के सामने एक अन्य कार लगा दिया। नोकझोंक के बाद प्रियंका कार से उतरकर स्कूटी से आगे बढ़ीं तो करीब 400 मीटर बाद पुलिस ने उन्हें फिर रोका। महिला पुलिस कर्मी ने आगे न बढ़ने देने के लिए प्रियंका के गिरेबान पर हाथ डाल दिया। धक्का-मुक्की भी की। तब प्रियंका पैदल ही दारापुरी के करीब 5 किमी दूर इंदिरानगर स्थित घर के लिए निकल पड़ीं। बाद में प्रियंका ने आरोप लगाया कि उन्हें रोकने के लिए एक महिला पुलिसकर्मी ने उनका गला दबाया। उन्हें धकेला भी गया।
प्रियंका की कार लोहिया पार्क चौराहे पर पहुंची तो पुलिस ने उनकी कार के सामने दूसरी कार लाकर उन्हें रोक दिया। पुलिस ने बताया कि सुरक्षा कारणों से उन्हें बताना होगा कि वे कहां जा रही हैं। तब प्रियंका ने कहा कि यह मामला ‘एसपीजी’ सुरक्षा का नहीं है, पूरी तरह से यूपी पुलिस का है। ऐसे रोके जाने से हादसा भी हो सकता था। वे बिना बताए कहीं भी जा सकती हैं, लेकिन पुलिस ने उनका तर्क नहीं सुना। तब प्रियंका पैदल ही फ्लाईओवर पर चढ़ गईं। वहां एक स्कूटी पर बैठकर पॉलीटेक्निक चौराहे पर पहुंचीं। यहां महिला पुलिस कर्मियों ने उन्हें जबरन रोक लिया। एक महिला कर्मी ने उनकी गर्दन पकड़ी और धक्का-मुक्की भी की। तब प्रियंका स्कूटी से उतरकर पैदल ही मुंशी पुलिया की ओर बढ़ गईं। वे करीब 6.20 बजे दारापुरी के आवास पर पहुंचीं।
77 वर्षीय एसआर दारापुरी को सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के लिए 19 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था। तभी से उनकी पत्नी की तबीयत खराब चल रही है। प्रियंका ने कहा कि दारापुरी ने सिर्फ एक फेसबुक पोस्ट डाली थी कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ अहिंसात्मक प्रदर्शन होने चाहिए। इस पर उन्हें जेल में डाल दिया गया।
प्रियंका गांधी वाड्रा ने राजधानी में शनिवार को कांग्रेस स्थापना दिवस समारोह में सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमला बोला। कहा- संविधान के खिलाफ कानून लाना, झूठ बोलना, विरोधी आवाज को हिंसा से कुचलना और फिर कदम वापस खींचना कायरता की निशानी है।
‘ये पुलिस की क्या हरकत है… भाजपा सरकार कायरों वाली हकरत कर रही है। मैं उत्तर प्रदेश की प्रभारी हूं और मैं प्रदेश में कहां जाऊंगी, यह भाजपा सरकार तय नहीं करेगी।’
– प्रियंका गांधी, कांग्रेस महासचिव
कांग्रेस का स्थापना दिवस कार्यक्रम पूरी तरह से फेल रहा तो प्रियंका ने सुर्खियां बटोरने के लिए यह नौटंकी की। मनगढ़ंत कहानी गढ़ दी कि उनका गला दबाने की कोशिश की गई। प्रदेश में धारा-144 लागू है। प्रियंका को उच्चस्तर की सुरक्षा मिली हुई है। उन्हें लोकल पुलिस को अपने कार्यक्रम के बारे में पूर्व सूचना देनी चाहिए थी। प्रियंका और उनका परिवार सिर्फ झूठ की राजनीति करता है।’
– सिद्धार्थनाथ सिंह, कैबिनेट मंत्री
गला पकड़ने, गिराने की बातें भ्रामक व असत्य: सीओ
प्रियंका की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था कराने के लिए उनसे गंतव्य के बारे में जानकारी मांगी गई, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। इसके बाद प्रियंका गाड़ी से उतरकर कार्यकर्ताओं के साथ पैदल चलने लगीं। अर्चना सिंह ने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रियंका गांधी का गला पकड़ना और उन्हें गिराने जैसी भ्रामक बातें प्रचारित की जा रही हैं जो पूर्णतया असत्य हैं।
सीओ ने कहा, मेरे साथ भी धक्कामुक्की की गई। मैं एक बार गिर भी गई, लेकिन प्रियंका के साथ किसी भी स्तर पर कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया। उन्हें सुरक्षा के मद्देनजर हेलमेट न लगाने की बात भी की गई, मगर उन्होंने ध्यान नहीं दिया। सीओ का कहना है कि उन्होंने पूरी कर्त्तव्यनिष्ठा से अपनी ड्यूटी का निर्वहन किया। सीओ ने अपर पुलिस अधीक्षक प्रोटोकाल को भी यही लिखकर दिया है।
वहीं, सीओ गोमतीनगर संतोष कुमार सिंह का कहना है कि प्रियंका को किसी ने रोका नहीं था। वह जब वीमेन पावर लाइन 1090 चौराहा पहुंची तो पुलिसकर्मियों ने उनसे पूछा कि वह कहां जाना चाहती हैं। इस पर उन्होंने कुछ बताया नहीं और किसी पार्टी नेता के साथ स्कूटी से चली गईं।