दो लडकियो पर लडडु चोरी करने का आरोप लगाकर स्कूल से निकाला, चरित्र खराब करने की दी धमकी

दो लडकियो पर लडडु चोरी करने का आरोप लगाकर स्कूल से निकाला, चरित्र खराब करने की दी धमकी
  • बेटी बचाओ, बेटी पढाओ नारे को अध्यापक ने ही लगाया पलीता

नकुड [इंद्रेश त्यागी]। प्रधानमंत्री एक ओर जंहा बेटी बचाओ, बेटी पढाओ का नारा देकर गर्ल्स एजूकेशन को बढाने के लिये देश को प्रेरित कर रहे हैं वही कुछ शिक्षक ही सरकार की इस मंशा को पलीता लगाने का काम कर रहे है। उच्च प्राथमिक विद्यालय के एक प्रधानाध्यापक ने दो छात्राओ पर लडडु चोरी का आरोप लगाकर विद्यालय से निकाल दिया। प्रधानाध्यापक ने छात्राओ की टीसी पर संदिग्ध चरित्र लिखने की धमकी तक दे दी है।

मामला नकुड विकास खंड के साल्हापुर गांव के उच्चप्राथमिक विद्यालय का है। साल्हापुर निवासी जसवीर की दो बेटी गांव के विद्यालय मे कक्षा सात व आठ मे पढती है। जसवीर ने कोतवाली में लिखित तहरीर देकर आरोप लगाया कि विगत 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक सतीश कुमार ने उसकी दोनो बेटियो पर विद्यालय में स्वतंत्रतादिवस पर मिष्ठान वितरण के लिये आये लडडु चुराने का आरोप लगाकर उन्हे धमकाकर स्कूल से निकाल दिया। तब से दोनो लडकियां स्कूल नहीं आ रही थी। उसने उनसे पूछताछ की तो उन्होने उसे सारी बात बतायी। लडकियों ने परिजनो को यह भी बताया कि उन्होंने लडडु नहीं चुराये।

जसवीर का कहना है कि लडकियों की बात सुनकर वह स्कूल मे गया तथा प्रधानाध्यापक से लडकियो को स्कूल से न निकालने का आग्रह किया। उसका आरोप है कि प्रधानाध्यापक ने उसके साथ भी गालीगलौच की। जिसके बाद जसबीर ने अन्य स्कूल मे प्रवेश दिलाने के लिये दोनो बेटियो की टीसी देने का आग्रह किया तो प्रधानाध्यापक ने कहा कि वह टीसी पर उनका चरित्र खराब कर देगा। जिसके बाद उन्हे कहीं भी प्रवेश नंही मिलेगा। जसबीर का कहना है कि प्रधानाध्यापक ने उसकी लडकियो को ड्रेस व किताबो के लिये दिये गये 12 – 12 सौ रूपये भी वापसे देने को कहा है। जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है। पिडित बालिकाओ के पिता ने इस आशय की शिकायत उपजिलाधिकारी संगीता राघव से भी की है।

एबीएसए ने नंही की जांच

मामले की सूचना मिलने पर बीएसए ने एबीएसए को 48 घंटे मे जांच कर रिर्पोट देने के निर्देंश दिये। पंरतु एबीएसए ने प्रधानाध्यापक के बिमार होने का हवाला देकर मामले को लटका दिया है। जिससे क्षेत्र मे एबीएसए की भूमिका पर सवाल उठ रहे है। आखिर विभागीय अधिकारी एक माह तक मामले को क्यों दबाये बैठे रहे।

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