ज्ञानी जैलसिंह के आदर्शों का अनुसरण करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि

सहारनपुर [24CN] । प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी व देश के सातवें राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह की जयंती पर विभिन्न संगठनों ने उनके आदर्शों व सिद्धांतों का अनुसरण करते हुए उन्हें नमन किया। विश्वकर्मा शोध संस्थान के कार्यालय पर सोशल डिस्टैंसिंग के साथ देश के सातवें राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह की 105वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि देश में व्याप्त विभिन्न समस्याओं का समाधान ज्ञानी जैलसिंह के आदर्शों व सिद्धांतों का अनुसरण करके ही किया जा सकता है। उनका कहना था कि ज्ञानी जैलसिंह के लिए समाज व धर्म से पहले राष्ट्र था। इसलिए उन्होंने सिख धर्म का अनुयायी होते हुए भी 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में हुए आपरेशन ब्लू की अनुमति प्रदान की थी।

वक्ताओं ने कहा कि ज्ञानी जैलसिंह एक सामान्य रामगढिय़ा परिवार में जन्म लेकर अपनी प्रतिभा व कार्यों के बल पर देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर पहुंचे थे जिन्होंने आजीवन अपने आदर्शों व सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया। वक्ताओं ने कहा कि ज्ञानी जैलसिंह के आदर्शों व सिद्धांतों का अनुसरण कर विश्वकर्मा समाज को राजनीतिक ताकत दिलाना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इस दौरान विश्वकर्मा शोध संस्थान के निदेशक पत्रकार सुधीर सोहल, हिमांशु धीमान, डा. अनुज कुमार, मा. बिजेंद्र धीमान, आदित्य कुमार, रमेश धीमान नवीन नगर आदि मौजूद रहे। इसके अलावा विश्वकर्मा धीमान कल्याण महासभा के संस्थापक सहसचिव डा. के. पी. सिंह धीमान के निवास पर भी पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह की जयंती पर उनका भावपूर्ण स्मरण किया गया। इस दौरान डा. के. पी. सिंह धीमान, बोधराम एडवोकेट, प्रकाश चंद धीमान, प्रमोद धीमान, विनोद आर्य दैदपुरा आदि मौजूद रहे।


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