बेटे से हुआ संक्रमण, हाई शुगर के कारण मां नहीं झेल पाईं कोरोना का वार

बेटे से हुआ संक्रमण, हाई शुगर के कारण मां नहीं झेल पाईं कोरोना का वार
हाइलाइट्स
  • दिल्ली में कोरोना वायरस की वजह से पहली मौत हुई है वहीं यह भारत में इस संक्रमण से दूसरी मौत है
  • महिला डायबिटीज और हाइपरटेंशन से भी पीड़ित थीं
  • परिवार वाले इस चिंता में भी हैं कि अंतिम संस्कार के लिए उनकी बॉडी दी जाएगी या नहीं

नई दिल्ली
दिल्ली में कोरोना वायरस की वजह से पहली मौत का मामला सामने आया है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में शुक्रवार रात एक महिला ने दम तोड़ दिया। 68 साल की महिला कोरोना के अलावा डायबिटीज और हाइपरटेंशन से भी पीड़ित थीं। दिल्ली सरकार के डीजीएचएस ने मौत की पुष्टि की है। उनकी मौत के बाद परिवार वालों को उनके अंतिम संस्कार की चिंता है क्योंकि परिजन  इस बात को लेकर असमंजस में है कि अंतिम संस्कार के लिए उन्हें डेड बॉडी उपलब्ध कराई जाएगी या नहीं। परिजनों ने इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से संपर्क करने की भी कोशिश की। सूत्रों का कहना है कि पोस्टमॉर्टम भी कराया जाएगा।

शुरुआत से ही हालत गंभीर थी
उधर, अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि महिला की स्थिति शुरू से ही खराब थी और वह वेंटिलेटर पर थीं। इसकी वजह से इलाज के बाद भी महिला को बचा पाने में डॉक्टर सफल नहीं हो पाए। हालांकि, महिला में कोरोना वायरस की पुष्टि दिल्ली सरकार की तरफ से गुरुवार को की गई थी। इसमें बताया गया था कि महिला में यह संक्रमण उसके बेटे से पहुंचा है। इस वायरस से महिला का बेटा भी भर्ती है और सूत्रों का कहना है कि वे पूरी तरह से स्थिर है। बेटे से ही यह वायरस 68 साल की मां तक पहुंचा। बेटा जापान, जेनेवा और इटली से संक्रमित होकर दिल्ली आया था, लेकिन घर पहुंचते ही उसका यह संक्रमण उसकी बूढ़ी मां को अपने चपेट में ले लिया।

परिवार के 8 सदस्य संक्रमण से बचे
हालांकि, इस परिवार में बाकी 8 लोग इस वायरस के चपेट में आने से बच गए हैं, किसी अन्य में अभी लक्षण नहीं पाए गए हैं। इन सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। इसके बावजूद इन सभी को घरों में आइसोलेट करके रखा गया है। इस घर के आसपास के 50 घरों की भी जांच की जा चुकी है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के एक सूत्र ने बताया कि बुजुर्ग और पहले से बीमार लोगों में यह कोरोना का संक्रमण खतरनाक हो जाता है।

बीमार लोगों पर घातक होता है कोरोना
अभी तक दुनिया भर में हुई इस वायरस पर की गई स्टडी पर गौर करें तो इसके संक्रमण में आए लोगों में से 82 पर्सेंट में इसका असर हलका रहता है। 15 पर्सेंट में यह गंभीर बनता है, जबकि 3 पर्सेंट के लिए क्रिटिकल वाली स्थिति बनती है। इस मामले में मौत का प्रतिशत केवल 2 पर्सेंट है। इसमें से अधिकतर उन लोगों की मौत हुई है, जो दूसरी बीमारियों के शिकार थे। इस मामले में भी ऐसा ही देखा जा रहा है। अस्पताल में जब महिला की जांच की गई तो उनका शुगर लेवल काफी बढ़ा हुआ था। महिला को धीरे-धीरे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। महिला की तबियत शुक्रवार सुबह अचानक बिगड़ने लगी थी। उन्हें निमोनिया भी हो गया था। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। डॉक्टरों के काफी प्रयास के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका।