Toolkit Case: दिशा रवि की जमानत याचिका पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई

Toolkit Case: दिशा रवि की जमानत याचिका पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्ली । टूलकिट केस में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई जारी है। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि किसी तरह यह टूलकिट सोशल मीडिया पर लीक हो गया और सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध था। दिल्ली पुलिस का यह भी कहना है कि सिख फॉर जस्टिस एक प्रतिबंधित संगठन है, जिसने 11 जनवरी को इंडिया गेट और लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले को इनाम देने की घोषणा की थी।

वहीं, पुलिस ने शुक्रवार को उच्च सुरक्षा के बीच पटियाला हाउस स्थित एक अदालत को बताया कि कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को बदनाम करने की साजिश रचने की आरोपित दिशा रवि पूछताछ में सहयोग नहीं कर रही है। इसके अलावा पूरे घटनाक्रम के लिए साजिश की सह-आरोपित निकिता जैकब और शांतनु मुलुक को जिम्मेदार बता रही है। पुलिस ने अदालत से अनुरोध किया कि दिशा रवि की पुलिस हिरासत को तीन दिन और बढ़ाया जाए, क्योंकि क्योंकि सह-आरोपित शांतनु को एक नोटिस दिया है, जो 22 फरवरी को जांच में शामिल होगा, जिसके बाद दोनों का सामना कराया जाएगा।

अदालत ने पुलिस की इस दलील को स्वीकार करते हुए दिशा को तीन दिन के लिए पुलिस रिमांड में रखने की मंजूरी दी। असल में दिशा की पांच दिन की रिमांड शुक्रवार को खत्म हो गई थी जिसकी वजह से उसे अदालत में पेश किया गया था।

पुलिस ने अदालत को बताया कि पूछताछ के दौरान दिशा ने पूरी साजिश के लिए निकिता और शांतनु को जिम्मेदार ठहराया है, ऐसे में सभी आरोपितों को एक-दूसरे के सामने लाकर साथ पूछताछ करना बेहद जरूरी है।

दिशा को पुलिस ने 13 फरवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। दिशा कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर भारत को बदनाम करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश में शामिल है। उसने खालिस्तानी आतंकी संगठनों की मदद के लिए इंटरनेट मीडिया के जरिये एक दस्तावेज तैयार किया जिसमें भारत को बदनाम करने की पूरी रूपरेखा बनाई गई थी इसके अलावा उन लोगों के नाम भी शामिल थे, जो इस साजिश को अंजाम तक ले जाने में मदद करने वाले थे। दिशा इस दस्तावेज यानी टूलकिट के संपादन के साथ ही प्रसारण से भी जुड़ी थी। दिशा ने यह टूलकिट ग्रेटा थनबर्ग को दी थी और थनबर्ग ने टूलकिट को गलती से सार्वजनिक कर दिया, जिससे पूरी साजिश का भंडाफोड़ हो गया।

 


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