दंगा और हिंसा रोकने के लिए आरोपित उमर और शरजील के खिलाफ मुकदमा जरूरी, मिलेगी नसीहत

दंगा और हिंसा रोकने के लिए आरोपित उमर और शरजील के खिलाफ मुकदमा जरूरी, मिलेगी नसीहत

नई दिल्ली । उचित कदम उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के मामलों में आरोपित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद और शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली व केंद्र सरकार द्वारा मंजूरी दिया जाना सर्वथा उचित है। इसके साथ ही दंगे के मामलों में अब तक 21 में से 17 आरोपितों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मंजूरी पुलिस को मिल चुकी है।

पुलिस ने अपने आरोप पत्र में उमर खालिद और शरजील इमाम, दोनों को ही आरोपित बनाते हुए दंगे का मास्टरमाइंड बताया है। यानी इन पर दंगे भड़काने का आरोप है। निश्चित तौर पर ये गंभीर आरोप हैं और इन्हें कतई हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। दिल्ली व केंद्र सरकार ने इन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मंजूरी देकर इस मामले में कानून को अपना काम करने का रास्ता दे दिया है। अब इन पर लगाए गए आरोप अदालत में साबित होते हैं या नहीं, यह अदालती कार्यवाही के दौरान सामने आएगा और अदालत ही इसका फैसला करेगी।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे में अनेक लोगों की जान चली गई, कई परिवार उजड़ गए और कई घर व दुकानें जला दी गईं या नष्ट कर दी गईं। इस दौरान क्षेत्र में किस तरह भय और आशंका का माहौल था, यह किसी से छिपा नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं कि ये दंगे संपूर्ण मानवता के खिलाफ एक अत्यंत गंभीर अपराध थे। ऐसे में इसके दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए।

यदि इससे जुड़े मामलों में पुलिस द्वारा आरोपी बनाए गए लोगों पर दंगे की साजिश रचने या दंगा करने का दोष साबित होता है तो उन्हें हर हाल में सख्त सजा दी जानी चाहिए। ये सजा ऐसी होनी चाहिए कि इससे दूसरों को भी एक नसीहत मिले और भविष्य में कोई भी सांप्रदायिक ¨हसा फैलाने की साजिश रचने की सोच न सके।