Three Gorges Dam: चीन का सबसे बड़ा बिजली प्रॉजेक्ट फेल या Coronavirus पर WHO से बचने की साजिश?
बीजिंग चीन के हुबेई प्रांत में लगातार हो रही बारिश के बाद अब बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। इसके पीछे बारिश के अलावा थ्री गॉर्जेस डैम (Three Gorges Dam) से पानी छोड़ा जाना एक बड़ी वजह है। इसकी वजह से कई प्रांतों में अलर्ट जारी किया जा चुका है और हुबेई के वुहान में हर जगह पानी-पानी हो गया है। इस बीच चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार कई सवालों के घेरे में आ गई है। सरकार दावा करती रही है कि यह बांध पूरी तरह से सुरक्षित है जबकि पर्यावरणविद आरोप लगाते रहे हैं कि दरअसल, बेतहाशा पानी की वजह से यह टूटने की कगार पर पहुंच गया था और इसलिए इससे पानी छोड़ने का फैसला किया गया। यही नहीं, कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह भी दावा है कि कोरोना वायरस पर WHO की जांच से बचने के लिए सरकार ने जानबूझकर ऐसा किया है।
एशिया की सबसे बड़ी नदी यांगजे (Yangtze) के ऊपर हुबेई में बना Three Gorges Dam दुनिया का सबसे बड़ा ग्रैविटी हाइड्रोइलेक्ट्रिक सिस्टम है। इसे बनाने में ही 1994-2012 का वक्त लग गया था। यह विशाल बांध 2,309 मीटर लंबा और 185 मीटर ऊंचा है। इसमें पांच तल का शिप लॉक और 34 हाइड्रोपावर टर्बो-जनरेटर हैं। चीन की सरकार का दावा करती रही है कि इस प्रॉजेक्ट का मकसद सिर्फ पानी से बिजली बनाना था नदी को कंट्रोल करना नहीं, लेकिन अब सरकार ने माना है कि लगातार बो रही बारिश की वजह से उसने बांध से पानी छोड़ा है।
जानबूझकर डुबोया वुहान?
मानवाधिकार कार्यकर्ता जेनिफर जेंग ने आरोप लगाया है कि बारिश से बांध में पानी बढ़ने की वजह से इसके गेट नहीं खोले गए हैं। उनका दावा है कि चीनी प्रशासन जानबूझकर हुबेई में पानी छोड़ रहा है ताकि वुहान में बाढ़ के हालात पैदा किए जा सकें। इसके पीछे कोरोना वायरस की महामारी फैलने की जांच को उन्होंने वजह बताया है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक्सपर्ट चीन में हैं और वे वुहान में वायरस के फैलने को लेकर जांच करने वाले हैं। चीन पर इस बात के आरोप लगते रहे हैं कि वुहान की वायरॉलजी लैब से कोरोना वायरस फैला था और फिर चीन ने इसे रोकने की जगह जानकारी छिपाई। जेंग का दावा है कि इसी जांच में रुकावट डालने या सबूतों को मिटाने के लिहाज से चीन ऐसा कर रहा है।
भूकंप, भूस्खलन का खतरा, लाखों विस्थापित
यह प्रॉजेक्ट हमेशा से ही विवादों के घेरे में रहा है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे आसपास के इलाकों में भूस्खलन, बाढ़ और नदी की इकॉलजी को खतरा पैदा हो गया है। यहां तक कि 2012 में इसके बनने के बाद ही आसपास के घरों को ‘खतरे में’ बताया गया था और बाडोन्ग काउंटी के हजारों लोगों को हटाया जाने लगा था। इसे बनाने के लिए ही करीब 13 लोगों को पहली ही विस्थापित किया गया था। एक्सपर्ट्स का दावा है कि इससे भूकंप का खतरा भी पैदा हो गया है। बीते दशक में बांध के निर्माण को लेकर सवाल उठते रहे हैं। पहले भी इस बात की खबरें आती रही हैं कि बांध कमजोर है और इसके टूटने का खतरा है। कई बार सैटलाइट तस्वीरें तक सामने आई हैं लेकिन सरकार ने इन तस्वीरों को फर्जी बताया है।
‘पश्चिमी मीडिया लगा रही आरोप’
सरकारी सेफ्टी एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि इसके सेफ्टी इंडिकेटर मानकों के अंदर ही हैं। इससे पानी छोड़े जाने की बात को भी खारिज किया जाता रहा। यहां तक कि चीनी सरकार के मुखपत्र के तौर पर काम करने वाले ग्लोबल टाइम्स ने यह तक कह डाला कि ये आरोप पश्चिमी मीडिया लगा रही है। अखबार ने पेइचिंग के रिसर्च फेलो गुओ शुन के हवाले से दावा किया है कि बांध में अभी जितना पानी है, वह उससे कहीं ज्यादा की क्षमता रखता है। मीडिया कहती रही कि बांध का इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए किया जा रहा है लेकिन हॉन्ग-कॉन्ग के एक न्यूज आउटलेट ने आरोप लगाया कि दरअसल, बांध को टूटने से बचाने के लिए बिजली निर्माण का बहाना देकर शहर में पानी छोड़ा जा रहा है।