Firms leaving china: कंपनियों को भारत बुलाने का सरकार का यह सबसे बड़ा दांव, चीन को लगेगा बड़ा झटका

Firms leaving china: कंपनियों को भारत बुलाने का सरकार का यह सबसे बड़ा दांव, चीन को लगेगा बड़ा झटका

 

  • चीन से कंपनियों को भारत बुलाने के लिए सरकार ने पूरी तैयारी की
  • लक्जमबर्ग जैसे देश के दोगुने आकार की जमीन इन कंपनियों को करेगी ऑफर
  • देशभर में 4,61,589 हेक्टेयर जमीन को चिन्हित किया गया
  • भारत में निवेश करने वालों के लिए कम से कम समय में जमीन की उपलब्धता बड़ी समस्या रही

नई दिल्ली
चीन छोड़ने वाली कंपनियों को लुभाने के लिए भारत यूरोपीय देश लग्जमबर्ग से लगभग दोगुना आकार का लैंड पुल विकसित कर रहा है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया है कि इसके लिए देशभर में 4,61,589 हेक्टेयर जमीन को चिन्हित किया है। पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक सूत्र ने बताया कि इसमें गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु तथा आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में 1,15,131 हेक्टेयर जमीन इंडस्ट्रियल लैंड हैं। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, लग्जमबर्ग कुल 2,43,000 हेक्टेयर में फैला है। भारत में निवेश करने वालों के लिए कम से कम समय में जमीन की उपलब्धता बड़ी समस्या रही है। सऊदी अरामको से लेकर पॉस्को जैसी कंपनियां भूमि अधिग्रहण में देरी से बेहद परेशान हैं।

राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार राज्य सरकारों से मिलकर इसके लिए काम कर रही है। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी के बाद चीन में काम कर रही विदेशी कंपनियां अब पेइचिंग छोड़ने पर विचार कर रही है और इसका फायदा भारत उठाना चाह रहा है। वर्तमान में, भारत में फैक्ट्री लगाने वाली कंपनियों को खुद जमीन खरीदना होता है। कुछ मामलों में भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण प्रॉजेक्ट में भी देरी हो जाती है।

सुविधाओं से निवेश बुलाने में मिलेगी मदद
जमीन के साथ-साथ बिजली, पानी तथा सड़क की पहुंच मुहैया कराने से भारत जैसी अर्थव्यवस्था को नया निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। कोरोना वायरस महामारी के कारण किए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब हो चली है।

इन सेक्टर्स पर है नजर
सूत्रों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने तथा देश को विनिर्माण का गढ़ बनाने की क्षमता है, उनकी पहचान करने के लिये उद्योग मंडलों सहित विभिन्न संबंधित पक्षों के साथ कई बैठकें हुई हैं। एक सूत्र ने बताया, ’12 ऐसे अग्रणी क्षेत्र हैं, जिन पर ध्यान दिया जा सकता है। इनमें मॉड्यूलर फर्नीचर, खिलौने, खाद्य प्रसंस्करण (जैसे रेडी टू ईट फूड), कृषि-रसायन, वस्त्र (जैसे मानव निर्मित सूत), एयर कंडीशनर, पूंजीगत सामान, दवा और वाहन कल-पुर्जा शामिल हैं।’

रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे

उन्होंने यह भी बताया था कि मंत्रालय ऐसे क्षेत्रों की पहचान करने के ऊपर काम कर रहा है, जिन्हें निर्यात के उद्देश्य से निकट भविष्य में बढ़ावा दिया जा सकता है। मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने से भारत के धीमे पड़ते निर्यात को तेज करने तथा रोजगार के अधिक अवसर सृजित करने में मदद मिल सकती है। उल्लेखनीय है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का करीब 15 प्रतिशत योगदान है। भारत सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की जीडीपी में हिस्सेदारी को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है।


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