सपा के ‘PDA’ पर भारी पड़ेगा BJP का ये फॉर्मूला! 2027 के लिए बनाई रणनीति, जानें- क्या है प्लान?

लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जिस ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) के दम पर भारतीय जनता पार्टी को पछाड़ दिया था, उसकी काट अब बीजेपी ने ढूंढ ली है. इसी रणनीति के तहत पार्टी अब 2027 विधानसभा चुनाव की तैयार करने में जुट गई है. माना जा रहा है कि ‘पीडीए’ फॉर्मूले का जवाब अब ‘पीडीआर’ फॉर्मूले से दिया जाएगा.
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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जिस तरह से हर प्लेटफॉर्म पर पीडीए की बात करके अपनी सियासी चाल को आगे बढ़ा रहे हैं वो बीजेपी की राह को मुश्किल कर रहा है. ये बात भाजपा भी अच्छी तरह से समझ चुकी है. यहीं वजह से हैं पार्टी की ओर से अब इसकी काट निकाली जा रही है.
‘पीडीए’ का जवाब ‘पीडीआर’ से देगी बीजेपी
खबरों की मानें तो सपा के पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक फॉर्मूले का जवाब भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा, दलित और राष्ट्रवाद यानी पीडीआर की रणनीति से देगी. इस फॉर्मूले के तहत जहां बीजेपी के संगठनों में अब पिछड़ों और दलित वर्ग से आने वाले नेताओं को तवज्जो दी जा रही है तो वहीं लोगों में राष्ट्रवाद की अलख जलाकर भी गोलबंदी की कोशिश की जा रही है.
बीजेपी ने इसकी शुरुआत स्वतंत्रता दिवस पर सभी स्कूलों और मतदान केंद्रों में तिरंगा झंडा फहराने की मुहिम के साथ की. सभी बड़े शहरों में तिरंगा यात्रा निकाली गई और हर घर तिंरगा की मुहिम को भी बढ़ावा दिया गया.
बीजेपी ने अपनी रणनीति को दी धार
बीजेपी न सिर्फ पिछड़ा दलित के साथ राष्ट्रवाद को धार दे रही है बल्कि सपा के पीडीए को भी परिवार डेवलेपमेंट अथॉरिटी बताकर निशाना साधने में जुटी है. ताकि जनता में ये संदेश जाए कि पीडीए के नाम पर किसी तरह सपा में एक जाति और एक ही परिवार को आगे बढ़ाया जा रहा है.
बीजेपी के हाथ एक और मुद्दा उस वक्त लगा जब विधानसभा सत्र के दौरान चायल सीट से विधायक पूजा पाल ने जमकर सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की, जिससे समाजवादी पार्टी बुरी तरह भड़क गई और तत्काल पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया.
बीजेपी ने इस मुद्दों को भी पिछड़ा दलित से जोड़ दिया और आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने ये कार्रवाई इसलिए की क्योंकि वो पीडीए समाज के दर्द को नहीं समझते हैं. बीजेपी ने सिर्फ सपा को आड़े हाथों लिया बल्कि सीएम योगी ने पूजा पाल से मुलाकात भी की और ये संदेश देने की कोशिश की कि वो पिछडा-दलित के साथ हैं.
बता दें कि साल 2017 के बाद से बड़ी संख्या में पिछड़ा और दलित वोटर्स भारतीय जनता पार्टी के साथ आ गए थे. जिसके दम पर बीजेपी ने यूपी में जबरदस्त पकड़ बनाई. लेकिन, सपा के पीडीए फॉर्मूले के चलते 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को तगड़ा झटका लगा और सपा 37 लोकसभा सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
