कोरोना की इस दवा ने दी गुड न्‍यूज, बंदरों में कोविड-19 रोकने में असरदार

कोरोना की इस दवा ने दी गुड न्‍यूज, बंदरों में कोविड-19 रोकने में असरदार

 

  • एंटीवायरल ड्रग रेमडेसिवीर ने बंदरों पर प्रयोग में दिए शानदार नतीजे
  • SARS-CoV-2 से इन्‍फेक्‍टेड बंदरों में वायरल लोड हुआ कम
  • फेफड़ों की बीमारी रोकने में भी मिली सफलता, असरदार है रेमडेसिवीर
  • कोविड-19 के इलाज की खातिर रेमडेसिवीर का हो रहा है ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल

नई दिल्‍ली
कोरोना वायरस की दवा (Coronavirus medicine) की तलाश में एक बड़ी कामयाबी मिली है। एंटीवायरल ड्रग रेमडेसिवीर के बंदरों पर टेस्‍ट ने पॉजिटिव रिजल्‍ट्स दिए हैं। ये बंदर SARS-CoV-2 से इन्‍फेक्‍टेड थे। रेमडेसिवीर दवा दिए जाने के बाद उनका वायरल लोड कम हुआ और फेफड़ों की बीमारियों को भी रोकने में मदद मिली। इस रिसर्च के नतीजे मंगलवार को ‘नेचर’ नाम के जर्नल में पब्लिश किए गए हैं। स्‍टडी में कोविड-19 मरीजों में निमोनिया को रोकने के लिए रेमडेसिवीर के शुरुआती इस्‍तेमाल की सलाह दी गइ है।

पहले दिया इन्‍फेक्‍शन, फिर इलाज
नैशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ हेल्‍थ के रिसर्चर्स ने पाया कि रेमडेसिवीर की एंटीवायरल ऐक्टिविटी ब्रॉड है। यह दवा जानवरों में SARS-CoV और MERS-CoV जैसे इन्‍फेक्‍शन को रोकने में प्रभावी रही है। रिसर्चर्स ने इन बंदरों को पहले SARS-CoV-2 का इंजेक्‍शन दिया। SARS-CoV-2 से ही कोविड-19 होता है। छह बंदरों के दो ग्रुप बनाए गए। एक ग्रुप को इन्‍फेक्‍शन के 12 घंटे बाद रेमडेसिवीर दी गई। इसी वक्‍त फेफड़ों में वायरस का प्रॉडक्‍शन सबसे तेज होता है। इन बंदरों का अगले छह दिन तक हर 24 घंटे पर इलाज किया गया। बंदरों को वही डोज दी गई थीी जो इंसानों में इस्‍तेमाल की जाती है।

वायरल लोड घटा, बीमारी का खतरा भी
रिसर्चर्स ने पाया कि जिन बंदरों को रेमडेसिवीर दी गई थी, उनमें सांस से जुड़ी बीमारियों के लक्षण नहीं थे। उनके फेफड़ों को भी कम नुकसान पहुंचा था। जिनका इलाज हुआ, उनके लोअर रिस्‍परेटरी ट्रैक्‍ट में वायरल लोड्स भी कम मिले। पहली डोज दिए जाने के बाद 12 घंटे बाद, दूसरे सेट के बंदरों के मुकाबले इनमें वायरल लोड 100 गुना तक कम था। तीन दिन के बाद इन बंदरों में वायरस डिटेक्‍ट नहीं हुआ। जबकि दूसरे ग्रुप के छह में चार में वाायरल मौजूद था। हालांकि वायरस शेडिंग में कोई कमी नहीं आई।

हालांकि रिसर्चर्स ने आगाह किया है इलाज की यही टाइमिंग इंसानों के लिए न इस्‍तेमाल की जाए। क्‍योंकि जिस प्रजाति के बंदरों पर यह रिसर्च की गई थी, वे आमतौर पर बेहद हल्‍के बीमार होते हैं। रिसर्चर्स ने कहा कि नतीजे बताते हैं कि कोविड-19 के इलाज में रेमडेसिवीर का इस्‍तेमाल जल्‍द से जल्‍द करना चाहिए ताकि असर ज्‍यादा से ज्‍यादा हो। अभी इस दवा का ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। भारत में इस दवा को बनाने की मंजूरी दे दी गई है।