‘ये साजिश से कम नहीं…’, महाराष्ट्र में हिन्दी भाषा अनिवार्य होने पर भड़कीं सुप्रिया सुले; फडणवीस सरकार पर साधा निशाना

पुणे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एससीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने शनिवार को महाराष्ट्र सरकार के हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के फैसले की आलोचना की और इसे एसएससी बोर्ड को खत्म करने की साजिश करार दिया।
सुले ने कहा, “मैंने पहले भी कहा है कि यह फैसला जल्दबाजी में लिया गया है। मराठी महाराष्ट्र की आत्मा है और यह आगे भी नंबर वन रहेगी। शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम करना है और मराठी भाषा पहली भाषा होनी चाहिए। मुझे लगता है कि यह कदम एसएससी बोर्ड को खत्म करने की साजिश है।”
महाराष्ट्र के राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के निदेशक राहुल अशोक रेखावर ने गुरुवार को कहा कि यह निर्णय स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 16 अप्रैल को लिया गया था।
रेखावर ने बताया, “महाराष्ट्र सरकार की ओर से स्कूल शिक्षा विभाग ने एक निर्णय लिया है, जिसके तहत राज्य बोर्ड के सभी स्कूलों में कक्षा 1 से मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी भाषा पढ़ाना अनिवार्य कर दिया गया है।”
‘हिन्दी अनिवार्य करना राजनीतिक एजेंडा नहीं है’उन्होंने कहा, “यह निर्णय सभी नियुक्तियों और उनके विकास को ध्यान में रखते हुए लिया गया है और छात्रों को इससे निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और किसी राजनीतिक या सामुदायिक एजेंडे से प्रेरित नहीं है।
सीएम फडणवीस का बयानइससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी एनईपी ढांचे के तहत मराठी को बढ़ावा देने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। मुंबई मेट्रो लाइन 7A सुरंग के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए उन्होंने दोहराया कि राज्य में मराठी बोलना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा, “हमने नई शिक्षा नीति को पहले ही लागू कर दिया है। नीति के अनुसार, हम प्रयास कर रहे हैं कि सभी को मराठी के साथ-साथ देश की भाषा भी आनी चाहिए।”