अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आये धार्मिक अल्पसंख्यकों पर नहीं होगी कोई दंडात्मक कार्रवाई

हम आपको बता दें कि अप्रैल 2025 में पारित इस अधिनियम की धारा 21 के तहत, कोई भी विदेशी यदि बिना वैध पासपोर्ट या वीज़ा जैसे यात्रा दस्तावेज़ों के भारत में प्रवेश करता है, तो उसे अधिकतम पाँच वर्ष की कैद और/या पाँच लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।
इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स (एक्सेम्प्शन) ऑर्डर, 2025 के अनुसार नेपाल और भूटान के नागरिकों को भी, साथ ही 1959 से 30 मई 2003 के बीच विशेष प्रवेश अनुमति (Special Entry Permit) लेकर भारत आए तिब्बतियों को, यदि वे संबंधित विदेशी पंजीकरण अधिकारी के पास पंजीकृत हैं, इसी तरह की छूट दी गई है। हालांकि, नेपाल और भूटान के नागरिक यदि चीन, मकाऊ, हांगकांग या पाकिस्तान के रास्ते से भारत में प्रवेश या निकास करते हैं, तो उन्हें यह छूट नहीं मिलेगी।
हम आपको बता दें कि अप्रैल 2025 में पारित इस अधिनियम की धारा 21 के तहत, कोई भी विदेशी यदि बिना वैध पासपोर्ट या वीज़ा जैसे यात्रा दस्तावेज़ों के भारत में प्रवेश करता है, तो उसे अधिकतम पाँच वर्ष की कैद और/या पाँच लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। वहीं, धारा 23 के अंतर्गत वीज़ा की अवधि से अधिक ठहरने वाले विदेशियों को अधिकतम तीन वर्ष की कैद और/या तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
भारत में शरण लेने वाले पंजीकृत श्रीलंकाई तमिल, जो 9 जनवरी 2015 तक भारत आए, उन पर ठहराव और निकास संबंधी प्रावधान लागू नहीं होंगे। इसके अलावा, भारत में ड्यूटी पर आने-जाने वाले तीनों सेनाओं (थल, जल, वायु) के सदस्य और उनके परिवारजन भी दंडात्मक कार्रवाई से मुक्त रहेंगे। इसी तरह, कूटनीतिक पासपोर्टधारकों को वीज़ा की आवश्यकता नहीं होगी। अधिनियम को लागू करने के अधिकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सौंपे गए हैं।
हम आपको बता दें कि सोमवार को गृह मंत्रालय ने अधिनियम के उल्लंघन पर लगाए जाने वाले संकलित (compounded) जुर्मानों की अधिसूचना भी जारी की थी। इसके तहत वैध पासपोर्ट और वीज़ा के बिना प्रवेश करने वाले (छूट प्राप्त श्रेणियों को छोड़कर) विदेशियों पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। वीज़ा अवधि से अधिक ठहरने पर क्रमवार दंड लगाया जाएगा इसके तहत 30 दिन तक– 10,000 रुपये, 31 से 90 दिन– 20,000 रुपये, 91 से 180 दिन– 50,000 रुपये और 181 दिन से 1 वर्ष तक 1 लाख रुपये तथा 1 वर्ष से अधिक– 2 लाख रुपये + प्रत्येक अतिरिक्त वर्ष पर 50,000 रुपये (अधिकतम सीमा 3 लाख रुपये) है।
हालांकि, तिब्बती, मंगोलिया के बौद्ध भिक्षु और पाकिस्तानी, बांग्लादेशी तथा अफगानी प्रवासी, जो दीर्घकालीन वीज़ा के पात्र हैं, उनके लिए केवल 50 से 550 रुपये तक का जुर्माना निर्धारित है। अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि यदि कोई विदेशी भारत के संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करता है, तो उसे भी यही जुर्माना देना होगा। विदेशियों के निवास स्थान की जानकारी न देने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। साथ ही शैक्षणिक संस्थानों या अस्पतालों द्वारा विदेशी छात्रों/मरीज़ों की जानकारी छिपाने पर 50,000 से 1 लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। इसके अलावा, विमान और जहाज़ यदि जाली दस्तावेज़ों वाले यात्रियों को लेकर आते हैं, तो उन पर दंड नहीं लगेगा, बशर्ते कि दस्तावेज़ की जालसाजी विशेषज्ञ जांच के बिना पकड़ी न जा सके।
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी अल्पसंख्यकों को, यदि वे 31 दिसंबर 2024 तक भारत आ चुके हैं, तो अब दंड की आशंका नहीं रहेगी। यह कदम कहीं न कहीं भारत के उस दीर्घकालीन दृष्टिकोण की झलक देता है, जिसमें पड़ोसी देशों से उत्पीड़न झेलकर आने वाले अल्पसंख्यकों को शरण दी जाती है।
बहरहाल, भारत के लिए चुनौती यही है कि वह सुरक्षा और मानवीयता के बीच संतुलन बनाए रखे। अवैध प्रवास को नियंत्रित करना राष्ट्रीय हित है, लेकिन पड़ोसी देशों से शरण लेने वाले समुदायों की पीड़ा को नज़रअंदाज़ करना भारत की परंपरा नहीं रही है। यह नया अधिनियम इसी द्वंद्व के बीच एक नया रास्ता निकालने का प्रयास प्रतीत होता है।
