‘Covaxin’ के आने में हो सकती है देरी, वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में आई ये रुकावट

नई दिल्ली । भारत बायोटेक द्वारा विकसित की जाने वाली कोविड-19 वैक्सीन के आम लोगों के बीच पहुंचने में देरी हो सकती है। दरअसल इस वैक्सीन का ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल एम्स में जारी है लेकिन तीसरे चरण के दौरान ट्रायल शॉट लेने के लिए इसके पास लोग नहीं हैं। इस प्रोजेक्ट के हेड ने यह बात आइएएनएस को बताई। कोवैक्सीन ट्रायल के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर संजय राय ने बताया कि इस बात की संभावना है कि सार्वजनिक उपयोग के लिए वैक्सीन आने में देर लग सकती है।
अंतिम चरण के ट्रायल में भागीदारी से इनकार
उन्होंने आगे बताया, ‘वैक्सीन के रोलआउट में देरी हो जाएगी यदि सैंपल के निर्धारित आंकड़े नहीं मिले और ट्रायल में प्रतिभागियों की कमी रही।’ एम्स में भारत बायोटेक की वैक्सीन का ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल के लिए कैंडिडेट का एनरोलमेंट जारी है लेकिन इसमें भागीदारी से बड़ी संख्या में लोगों का इनकार आ रहा है। एम्स के कम्युनिटी मेडिसीन डिपार्टमेंट को संभालने वाले संजय राय ने बताया कि तीसरे चरण के ट्रायल में भागीदारी से इनकार का दर करीब 80 फीसद है जबकि पहले और दूसरे चरण में यह मात्र 8 फीसद था।
25 हजार से अधिक प्रतिभागियों की है जरूरत
इस वैक्सीन के पहले चरण के ट्रायल में 375 प्रतिभागी शामिल थे। वहीं तीसरे चरण में देश भर के 25 विभिन्न इलाकों से कुल 25,800 प्रतिभागियों का होना जरूरी है। पहले चरण के ट्रायल के परिणाम के बारे में बताते हुए संजय राय ने कहा कि इससे पता चलता है कि वैक्सीन सुरक्षित है और इससे होने वाले साइड इफेक्ट भी मामूली है जिन्हें नजरअंदाज किया जा सकता है।
इमरजेंसी उपयोग के लिए दिया है आवेदन
एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित व सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड के साथ भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन की इमरजेंसी उपयोग के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से अनुमति मांगी है। अनुमति के लिए भेजा गया एप्लीकेशन मंजूरी के लिए सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) के पास लंबित है। यहां वैक्सीन की सुरक्षा और इसकी क्षमता और प्रभाव को लेकर जवाब मांगा गया है।