कांग्रेस और सपा के रिश्तों में आई दरार, कांग्रेस उत्तर प्रदेश में नहीं लड़ रही उप चुनाव
राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हैं कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के रिश्तों में दरार आ गई है. रिश्तों में खटास उत्तर प्रदेश उप चुनाव के कारण आई है. सूत्रों के अनुसार, सपा कांग्रेस को नौ में से केवल दो सीटें दे रही थी. कांग्रेस पांच सीटें चाह रही थी. कांग्रेस इसी वजह से नाराज हो गई और उसने नौ सीटों पर उप चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. हरियाणा चुनाव परिणाम के अगले ही दिन सपा ने छह सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया था. ऐलान के बारे में कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडेय ने कहा था कि यह एकतरफा ऐलान है. इस पर हम चर्चा नहीं कर सकते है.
पांच सीटों के लिए बातचीत जारी
उत्तर प्रदेश के कुछ दिग्गज कांग्रेसी नेताओं की मानें तो वे सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने के पक्ष में है. हालांकि, कांग्रेस उपचुनाव में एक भी उम्मीदवार न उतारे, इसकी संभावना अधिक है. सोमवार को आधिकारिक ऐलान हो सकता है. इन सबके बीत, उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि उप चुनाव में वह अपने उम्मीदवार उतारेंगे. सपा के साथ पांच सीटोें के लिए बातचीत जारी है. अंतिम फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व लेगा.
कांग्रेस को ऑफर हुईं ये दो सीटें
उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. निर्वाचन आयोग ने मिल्कीपुर के अलावा, बाकी नौ सीटे, जैसे- सीसामऊ, गाजियाबाद, कुंदरकी, कटेहरी, फूलपुर, खैर, मझवां और मीरापुर में चुनाव होगा. उत्तर प्रदेश उप चुनाव में 13 नवंबर को मतदान होना है. 23 नवंबर को रिजल्ट आएगा. सपा ने कांग्रेस को अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद सदर सीट का ऑफर दिया गया था. उपचुनाव को 2027 का लिटमस टेस्ट भी कहा जा रहा है.
सपा विधायक का कांग्रेस को सीधा जवाब
कहा जा रहा है कि कांग्रेस को सीट न देने का एक कारण हरियाणा में सपा को तवज्जो न देना भी है. हरियाणा में अखिलेश यादव कुछ सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रहे थे पर कांग्रेस ने एक भी सीटें नहीं दी. इसके अलावा, सपा महाराष्ट्र में 12 सीटें मांग रही है. पार्टी ने पांच सीटों पर उम्मीदवार भी उतार दिए हैं. सपा के विधायक रविदास मेहरोत्रा ने संकेत दी कि अगर कांग्रेस ने सपा को महाराष्ट्र में तवज्जो नहीं दी तो उत्तर प्रदेश विधानसभा में उसका असर दिखाई देगा.