अमेठी की चुनावी रणभूमि में दो बार हो चुकी है गांधी से गांधी की टक्कर, दिलचस्प रहा है परिणाम
अमेठी। अमेठी से राहुल गांधी लोकसभा चुनाव लड़ने आएंगे या नहीं। इसको लेकर अमेठी के साथ पूरे देश में चर्चा तेज है। अमेठी सीट पर अब से पहले दो बार गांधी से गांधी की सीधी टक्कर हो चुकी है। चार दशक पीछे जाए तो 1984 का लोक सभा चुनाव ऐसा था। जिसमें गांधी परिवार का आपसी टकराव देश में सामने आया था।
काफी चर्चित रहे 1984 के चुनाव में गांधी परिवार के दो सदस्य राजीव गांधी और मेनका गांधी ही एक दूसरे के खिलाफ अमेठी से चुनावी मैदान में उतर गए थे। 1989 में असली व नकली गांधी को मुद्दा बनाकर जनता दल ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मुकाबले महात्मा गांधी के पौत्र राज मोहन गांधी को मैदान में उतारा था।
अमेठी में गांधी से गांधी की टक्कर
करीब चार दशक पहले 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बन चुके थे। राजीव गांधी उस समय अमेठी से सांसद थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 26 दिसंबर 1984 को आम चुनावों की तिथि निर्धारित हो गई थी। राजीव गांधी फिर से अमेठी से चुनावी मैदान में थे। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद गांधी परिवार में चल रही अंदर खाने की लड़ाई बाहर आ गई और मेनका गांधी ने उस समय प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से ‘संजय विचार मंच’ से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
सहानुभूति ने राजीव गांधी को दिलाई जीत
गांधी परिवार के ही दो सदस्य एक दूसरे के सामने थे। एक तरफ प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे तो दूसरी तरफ साइकिल निशान के साथ उनके भाई संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी। लोगों की जनभावनाएं दोनों तरफ थी। पुराने लोगों का कहना है कि अमेठी की जनता बड़ी दुविधा में थी। एक तरफ इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जनता की सहानुभूति राजीव गांधी के साथ थी। वहीं दूसरी ओर अमेठी के सांसद रहे संजय गांधी की विधवा मेनका गांधी के प्रति आत्मीय लगाव।
वोट में तब्दील नहीं हो पाई मेनका के लिए उमड़ी भीड़
मेनका गांधी की सभाओं में भीड़ तो उमड़ती थी, लेकिन ये भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो सकी। इंदिरा गांधी की हत्या से उमड़ी सहानुभूति की लहर में अमेठी की जनता ने राजीव गांधी को चुना। मेनका गांधी की जमानत नहीं बच पाई। उस समय राजीव गांधी व मेनका गांधी सहित 31 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। कुल 4,46,289 वोट पड़े थे। जिसमें से 3,65,041 वोट राजीव गांधी और मात्र 50,163 वोट ही मेनका गांधी को मिले थे। इस चुनाव में पहली बार अमेठी में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप भी कांग्रेस पर लगे थे।
असली व नकली गांधी का था मुद्दा
अमेठी संसदीय क्षेत्र के सबसे चर्चित चुनावों में एक 1989 आम चुनाव भी था। बोफोर्स का मुद्दा गरम था। जनता दल व भाजपा संयुक्त रूप से कांग्रेस के मुकाबले चुनावी रण में उतरी थी। राजा नहीं फकीर है का नारा पूरे देश में बुलंद था।
ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने अमेठी में राजीव गांधी के मुकाबले राज मोहन गांधी को मैदान में उतारकर असली बनाम नकली गांधी को हवा देते हुए राजीव गांधी को हैट्रिक लगाने से रोकने की पुरजोर कोशिश की पर जनता राजीव गांधी के साथ तन कर खड़ी रही और उन्हें 2,71,407 मत मिले। जबकि तमाम कोशिश के बाद भी जनता दल के राज मोहन गांधी को 69,269 मतों से ही संतोष करना पड़ा। बसपा संस्थापक कांशीराम को इस चुनाव में मात्र 25,400 मत ही मिले थे।
इसके बाद कहीं भी सीधे गांधी से गांधी नहीं टकराए
देश की राजनीति में इन दो मौकों को छोड़ दिया जाए तो फिर कहीं और कभी भी गांधी से गांधी की सीधी चुनावी लड़ाई नहीं हुई। इतना ही नहीं मेनका गांधी व राज मोहन गांधी चुनाव हारने के बाद कभी भी लौटकर अमेठी नहीं आए। वरुण गांधी भी अब तक अमेठी से दूरी बनाए हुए हैं। यह बात अलग है कि इस बार राहुल गांधी के साथ ही उनके नाम की चर्चा अमेठी में खूब है।
गांधी बनाम गांधी की लड़ाई का चुनाव परिणाम
- 1984 के चुनाव में कुल पड़े वोट : 4,46,289
- राजीव गांधी को मिले वोट : 3,65,041
- मेनका गांधी को मिले वोट : 50,163
- जीत का अंतर : 3,14,878
- 1989 के चुनाव में पड़े मत : 4,25,746
- राजीव गांधी को मिले मत : 2,71,407
- राज मोहन गांधी को मिले मत : 69,269
- जीत का अंतर : 2,02,138