कारगिल: जूते उतारकर पाकिस्तान पर टूट पड़ा जांबाज, ‘बैटल ऑफ नॉल’ का पूरा किस्सा

कारगिल: जूते उतारकर पाकिस्तान पर टूट पड़ा जांबाज, ‘बैटल ऑफ नॉल’ का पूरा किस्सा

 

  • टू राजपुताना राइफल्स को थ्री पिंपल्स, ब्लैक रॉक और नॉल को जीतने की दी गई थी जिम्मेदारी
  • 18 गढ़वाल को पॉइंट 4700 मिशन फतेह करने का सौंपा गया था जिम्मा, पूरा किया ऑपरेशन
  • इस ऑपरेशन के दौरान टू राजपुताना राइफल्स की काफी कैजुअलटी हुई थीं, जीत के साथ जख्म भी
  • कैप्टन एन केंगुर्से, लेफ्टिनेंट विजयंत थापर, मेजर आचार्य की शहादत के बाद भारत को मिली थी जीत

लखनऊ
भारत-चीन (India-China Dispute) के बीच चल रहे तनाव के बीच पूरा देश गलवान घाटी (Galwan Valley Clash) में भारतीय सेना (Indian Army) के 20 जांबाज जवानों की शहादत से आक्रोशित हो उठा। इन दिनों हर तरफ शौर्यवीरों (Shauryaveer) का जिक्र है। कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) की ओर बढ़ती हर तारीख इंडियन आर्मी के जांबाजों के किस्से को बयान करती है।

तारीख, 19 जून 1999, भारतीय सेना के जांबाजों ने पॉइंट 5140 (Point 5140) पर कब्जा जमा लिया था। जीत के साथ जोश दोगुना हो गया था। लगभग हर यूनिट अपना टास्क पूरा करने में जुटी थी। वहीं, मिशन तोलोलिंग पर फतेह के बाद टू राजपुताना राइफल्स (टू राज रिफ), जिसे कुछ आराम के लिए बुलाया गया था, अब वह फिर से नए मिशन के लिए तैयार थे। अब नॉल, थ्री पिंपल्स, ब्लैक रॉक और Point 4700 को दुश्मन (Pakistani Army) के कब्जे से छीनना था। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहिंदर पुरी से इस मिशन के बारे में  खास बातचीत की।

“इस जंग में काफी कैजुअलटी हो गई थीं। इसमें कैप्टन एन केंगुर्से, लेफ्टिनेंट विजयंत थापर, मेजर पद्मपाणि आचार्य के साथ-साथ कई जवान शहीद हुए। इन लोगों ने आर्टिलरी का फायर बहुत सही कराया।”-लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) मोहिंदर पुरी

‘…और इन तीनों फीचर्स पर किया गया कब्जा’
मोहिंदर पुरी कहते हैं, ‘हमने नॉल, थ्री पिंपल्स, ब्लैक रॉक का टास्क टू राज रिफ और POINT 4700 का टास्क 18 गढ़वाल को दिया था। 26 जून को यह हमला होना था और 27 जून और 28 जून को इन पर कब्जा होना था। हमने इसके लिए पूरा प्लान तैयार किया। पूरी एक तस्वीर बनाई गई। ब्रिगेड हेडक्वार्टर में सभी कमांडिंग अफसरों के साथ बैठकर प्लान बन चुका था। नॉल सड़क से दूर था। ऐसे में हमें टू राज रिफ का लॉजिस्टिक बेस काफी आगे तक शिफ्ट करना था ताकि उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े। यह सबकुछ करने के बाद हमने कार्रवाई की। टू राज रिफ ने बहुत बहादुरी से तीनों फीचर्स (नॉल, थ्री पिंपल्स, ब्लैक रॉक) पर कब्जा किया। जीत के साथ कई जख्म भी हमें मिले थे। कैप्टन एन केंगुर्से, लेफ्टिनेंट विजयंत थापर, मेजर पद्मपाणि आचार्य के साथ-साथ कई जवान शहीद हुए। इस जंग की खास बात यह थी कि इन लोगों ने आर्टिलरी का फायर बहुत अच्छे ढंग से कराया। दुश्मन गोलाबारी का यह तरीका देख पस्त हो गया था।’

पढ़ें: कारगिल की जीत का रास्ता था ‘मिशन तोलोलिंग’

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थ्री पिंपल्स और नॉल पर यूं जीती गई थी जंग

जूते उतारकर ऊपर चढ़े और…
कैप्टन केंगुर्से बहुत संकरे रास्ते से पहाड़ी पर चढ़ रहे थे। उन्होंने ऊपर रस्सी फेंक दी थी। इसी दौरान पाकिस्तानी सैनिक ऊपर से पत्थर फेंकने लगे। केंगुर्से ने आनन-फानन जूते उतारे। शायद इनकी वजह से उन्हें कोई दिक्कत आ रही थी। फिर वह तेजी से ऊपर चढ़े और दुश्मन पर टूट पड़े। बंदूक, चाकू से कई दुश्मनों को ढ़ेर करने के बाद वह गोलियों का निशाना बन गए। मरणोपरांत उन्हें महावीर चक्र का सम्मान दिया गया।

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कैप्टन एन केंगुर्से

…और एलएमजी को खामोश कर दिया
मोहिंदर पुरी कहते हैं, ‘हमें रेडियो सेट पर हर मेसेज मिलता रहता था। जीत की खुशी से ज्यादा इस बात का गम था कि जिन साथियों से अभी कुछ पल पहले ही मिले थे, वे अब हमारे साथ नहीं हैं। विजयंत थापर इस जंग के बीच एक चट्टान के पीछे थे। कुछ ही दूरी पर एक मशीन गन बुलेट्स उगल रही थी। विजयंत को अपने साथियों की फिक्र थी। वह चाहते थे कि जल्द से जल्द इस मशीन गन को एक सन्नाटे में तब्दील कर दिया जाए। खत्म कर दिया जाए इसका भयानक शोर। विजयंत चट्टान के पीछे से अचानक निकले और आगे बढ़ने लगे। एलएमजी से फायर झोंक रहे उस पाकिस्तानी को विजयंत ने खामोश कर दिया था। इसी बीच कुछ दूरी पर बैठे एक पाकिस्तानी ने विजयंत को निशाना बनाया और सिर पर गोली मारी। विजयंत शहीद हो गए।’

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बाईं ओर से पहले विजयंत थापर (रॉबिन)

18 गढ़वाल ने भी हासिल की थी जीत
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहिंदर पुरी बताते हैं, ‘यह काफी हाई कैजुअलटी अटैक था। इसके बाद लेह को जाने वाला रोड तकरीबन पूरी तरह से खुल गया था। इन दोनों हमलों में टू राज रिफ को तीन महावीर चक्र मिले थे। 18 गढ़वाल ने भी बहुत अच्छा काम किया था। उन्होंने पॉइंट 4700 पर कब्जा कर लिया था। टू राज रिफ और 18 गढ़वाल ने बहुत अच्छे तरीके से अपना टास्क पूरा किया था।’