नई दिल्ली । एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने तीसरी लहर को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि लाकडाउन खत्म होने के बाद लोगों ने एक बार फिर बचाव के नियमों का ठीक से पालन करना बंद कर दिया है। भीड़ भी एकत्रित होने लगी है। इसलिए तीसरी लहर जरूर आएगी। उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि यदि यही स्थिति रही तो डेढ़ से दो माह (छह से आठ सप्ताह) में तीसरी लहर आ सकती है। इसलिए बचाव के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि अनलाक शुरू होने के बाद लोगों में कोरोना से बचाव के अनुकूल व्यवहार में कमी देखी जा रही है। ऐसा लगता है कि लोगों ने पहली व दूसरी लहर से कोई सबक नहीं लिया। एक बार फिर पहले की तरह लोगों की भीड़ होने लगी है। इसलिए तीसरी लहर आना स्वभाविक है।

सामान्य तौर पर नई लहर तीन माह के अंतराल पर आती है लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि लोग बचाव के नियमों का कितना पालन करते हैं और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किस तरह के कदम उठाए जाते हैं। मामले बढ़ने में थोड़ा समय लगेगा लेकिन तीसरी लहर तीन माह के अंतराल से थोड़ा पहले आ सकती है।

उन्होंने कहा कि देश की बड़ी आबादी को जल्द टीका लगाना सबसे बड़ी चुनौती है। जब तक बड़ी आबादी को टीका नहीं लग जाता तब तक संक्रमण बढ़ने का खतरा बना रहेगा। वायरस में बार-बार म्युटेशन भी हो रहा है। वायरस में म्युटेशन होने के बाद ही नया स्ट्रेन बाहर से भारत आया और पूरे देश में दूसरी लहर फैल गई। वायरस में अब भी म्यूटेशन हो रहा है। इसलिए नए म्यूटेशन का पता लगाने के लिए अध्ययन करना होगा। उन्होंने कहा कि संक्रमण रोकने का पूरे देश में लाकडाउन बेहतर विकल्प नहीं है। इससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होती है।

इसलिए आक्रामक तरीके से संक्रमण की निगरानी जरूरी है, यदि कहीं संक्रमण बढ़ता है तो कंटेनमेंट जोन में लाकडाउन किया जाना चाहिए। संक्रमण दर पांच फीसद से अधिक होने पर मिनी लॉकडाउन होना चाहिए। संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है कि लोग मास्क का इस्तेमाल जरूर करें और शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते रहें।