देवबंद क्षेत्र में कच्ची शराब की कसीदगी अभी भी धडल्ले से जारी

  • अलीगढ की घटना से नही ले रहा आबकारी और पुलिस प्रशासन कोई सबक

देवबंद [24CN] : अलीगढ़ में हाल ही में हुए भयानक शराबकांड ने एक बार फिर से यह पोल खोलकर रख दी है कि उत्तर प्रदेश में मौत के रूप में जहरीली शराब परोस रहे माफियाओं का बोल बाला है और आबकारी विभाग, पुलिस प्रशासन सब इन माफियाओं के सामने हल्के दिखाई देते है अलीगढ में जहरीली शराब कांड में लगभग 100 लोगों की जान चली गई। उसके बाद जहां पूरे उत्तर प्रदेश में आबकारी विभाग और पुलिस की टीमें संयुक्त रुप से अवैध शराब बनाने वालों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान छेड़े हुए हैं। वहींए नगर एवं देहात क्षेत्र में न तो आबकारी विभाग और न ही पुलिस अवैध शराब माफियाओं पर पूरी तरह नकेल कस रही है। यह हालत तब है जबकि देवबंद देहात क्षेत्र में जहरीली शराब दो बार कहर बरपा चुकी है।

क्षेत्र में कच्ची शराब का धंधा बड़े पैमाने पर पैर पसारे हुए है। कार्रवाई के नाम पर आबकारी और पुलिस विभाग यदाकदा थोड़ी बहुत सख्ती दिखाकर अपने कर्तव्य की खानापूर्ति कर लेता है। वर्ष 2009 में देवबंद में हुए जहरीली शराबकांड के जख्म आज भी ताजा है। इस घटना में लगभग 55 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। वर्ष 2018 में जनपद सहारनपुर में एक और जहरीली शराबकांड हुआ। इसमें भी दर्जनों लोग मौत की नींद सोए थे। लेकिन इन दो बड़ी घटनाओं के बाद भी देवबंद क्षेत्र में कच्ची शराब की कसीदगी पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग पाया और आज भी कच्ची शराब का धंधा कुटीर उद्योग के रुप में अपनी जड़े जमाए हुए है। दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां शाम होते ही कच्ची शराब की भट्टियां धधकने लगती हैं। लेकिन शराब माफियाओं पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है। देवबंद में जहरीली शराब की दो बडी घटनाओं के बाद भी होना तो ये चाहिए था कि आबकारी विभाग और पुलिस मिलकर एक बडा अभियान चलाकर अवैध शराब की कसीदगी करने वालो पर पुरी तरह नकेल कस देती। लेकिन ऐसा नही हो पाया और यही कारण है कि देवबंद देहात क्षेत्रों में धडल्ले से आज भी कच्ची शराब की कसीदगी हो रही है। यदि समय रहते आबकारी और पुलिस ने इन माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं की तो पूर्व की घटनाओं की पुनरावृत्ति की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। कोतवाली प्रभारी का कहना है की कच्ची शराब निकालने वालों के खिलाफ धड़ पकड़ अभियान चलाया हुआ है।