हरियाणा-यूपी के किसानों में जमीनी विवाद को लेकर संघर्ष, दो घायल, छह के खिलाफ दी तहरीर

हरियाणा-यूपी के किसानों में जमीनी विवाद को लेकर संघर्ष, दो घायल, छह के खिलाफ दी तहरीर

सहारनपुर में बरसात के बाद यमुना खादर की जमीन को लेकर एक बार फिर विवाद सिर उठाने लगे है। हरियाणा के किसानों ने यूपी के किसानों की जमीन जबरन जोतने का प्रयास किया। यूपी के किसानों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया तो दोनों में संघर्ष हो गया।

संघर्ष में 2 किसान घायल हो गए। घायलों को हरियाणा के किसानों  को करनाल और यूपी के किसानों को सीएचसी में भर्ती कराया गया। सूचना पर पहुंची पुलिस हरियाणा के किसानों का ट्रैक्टर टीलर कोतवाली ले आई। जबकि कब्जा करने वाले हरियाणा के किसान मौके से फरार हो गए। मामले की तहरीर कोतवाली में दी गई है।

गंगोह कोतवाली क्षेत्र के यमुना खादर में बरसात के बाद यमुना नदी खेत की जमीन को उथल-पुथल कर बदल देती है। इसके चलते यूपी और हरियाणा के किसानों के बीच कई वर्षो से संघर्ष होना आम बात हो गई है। मंगलवार को गंगोह क्षेत्र के गांव उमरपुर निवासी मामचंद की जमीन हरियाणा के गांव शेरगढ़ टापू में बताई जाती है। शेरगढ़ टापू के किसानों की जमीन यूपी सीमा से सटी हुई है।

हरियाणा के किसानों ने उक्त जमीन को अपनी बताकर उस पर जुताई का काम शुरू कर दिया। जिसकी सूचना यूपी के गांव उमरपुर निवासी किसानों को पता चली तो वह इसका विरोध करने मौके पर पहुंच गए। जिसे लेकर दोनों ही ओर के किसानों में संघर्ष हो गया।

मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले को शांत कराया और पुलिस हरियाणा के किसानों का ट्रैक्टर अपने साथ कोतवाली ले आई। इसी बीच संघर्ष में घायल हुए अमित को गंगोह पीएचसी में भर्ती कराया गया। जबकि हरियाणा के किसान संजीव को करनाल में किसी सरकारी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया है। गांव उमरपुर निवासी किसान अमित ने 6 लोगों के खिलाफ कोतवाली में तहरीर दी है।

सर्वे विभाग आज तक नहीं निपटा सका सीमा विवाद
यमुना नदी के सीमा विवाद को निपटाने के लिए 1978 में दीक्षित अवार्ड का गठन किया गया था। सर्वे विभाग को सीमा विवाद निपटाने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन 41 वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी यह विभाग एक भी गांव का विवाद नहीं निपटा सका। जिसके चलते हरियाणा-यूपी सीमा विवाद की फाइलें बार-बार इधर से उधर होती रही हैं, लेकिन आज तक किसानों का सीमा विवाद प्रशासन नहीं निपटा पाया। इसी का नतीजा है कि कई किसानों को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ता है।

किसानों को नहीं मिल पाता दीक्षित अवॉर्ड के गठन का भी लाभ
बरसात होने के बाद हर वर्ष यमुना नदी की जमीन का विवाद का जिन्न बोतल से बाहर आ जाता है। जिसके चलते पिछले कई वर्षों में किसानों की जानें गई हैं। यूपी और हरियाणा में एक दूसरे के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं लेकिन उसके बावजूद भी दोनों  राज्यों के अधिकारी और प्रशासन इस मामले का समाधान नहीं  ढूंढ सका। इसी समस्या के समाधान के लिए दीक्षित अवार्ड का गठन किया गया था लेकिन 41 वर्ष बीत जाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं होता।

उधर एसडीएम नकुड पूरण सिंह राणा का कहना है इस गांव का विवाद पूर्ण  रूप से समाप्त हो चुका है। जिस का रिकॉर्ड बनाया जा रहा है यदि ऐसी कोई समस्या आई है तो मौके पर पैमाइश करा कर मामले का समाधान किया जाएगा विभाग जो पिछले 41 वर्षों में नहीं कर पाए वह जल्द ही इसका समाधान करेगा।


विडियों समाचार