खड़गे का केंद्र पर तीखा वार: मोदी सरकार मनरेगा को कमजोर कर रही है, गरीबों की आजीविका पर सीधा हमला

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर मनरेगा योजना को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह योजना देश के करोड़ों गरीबों की जीवन-रेखा है, जिसे वर्तमान सरकार धीरे-धीरे समाप्त करने पर आमादा है। खड़गे ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि मोदी सरकार जानबूझकर मनरेगा को तड़पा-तड़पा कर खत्म करने की दिशा में काम कर रही है, जो कि संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध है।
खड़गे ने बताया कि सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली छमाही के लिए मनरेगा के खर्च की सीमा 60% तय कर दी है, जो एक demand-driven योजना के मूल उद्देश्य के विपरीत है। उन्होंने सवाल किया कि अगर प्राकृतिक आपदा या प्रतिकूल मौसम के चलते इस अवधि में मांग बढ़ती है, तो ऐसे में जरूरतमंद मजदूरों का क्या होगा? क्या उन्हें काम से वंचित कर दिया जाएगा?
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार गरीबों की जेब से सालाना करीब ₹25,000 करोड़ बचाना चाहती है, जिसे पहले अधिक मांग की स्थिति में वित्त वर्ष के अंत में खर्च किया जाता था। खड़गे ने यह भी पूछा कि यदि राज्य तय सीमा से अधिक मांग के बावजूद रोजगार नहीं दे पाते, तो क्या श्रमिकों को बिना समय पर भुगतान के काम करना होगा?
उन्होंने एक रिपोर्ट (लिब टेक, 21 मई तक) का हवाला देते हुए बताया कि सिर्फ 7% परिवारों को ही मनरेगा के तहत 100 दिन का काम मिल पाया है। इसके साथ ही उन्होंने पूछा कि क्यों लगभग 7 करोड़ पंजीकृत मजदूरों को AADHAAR आधारित भुगतान की शर्त के चलते योजना से बाहर कर दिया गया? और क्यों बीते 10 वर्षों में मनरेगा के बजट को कुल केंद्रीय बजट में न्यूनतम स्तर पर रखा गया?
खड़गे ने आरोप लगाया कि मनरेगा पर खर्च की कटौती गरीबों के जीवन पर एक सीधा हमला है। उन्होंने कहा, “गरीब विरोधी मोदी सरकार मनरेगा मजदूरों पर लगातार ज़ुल्म कर रही है। कांग्रेस पार्टी इसका पुरजोर विरोध करती है।”
उन्होंने दो प्रमुख मांगें भी दोहराईं —
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मनरेगा मजदूरों को ₹400 प्रति दिन की न्यूनतम मजदूरी दी जाए।
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उन्हें साल में कम से कम 150 दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाए।
खड़गे ने अंत में कहा कि कांग्रेस पार्टी गरीबों की आजीविका के इस अधिकार की रक्षा के लिए हर मंच पर आवाज उठाएगी।