नई दिल्ली। इस वर्ष मार्च में प्रचंड गर्मी का अंदाजा शायद ही किसी को रहा हो। ठंड के बाद आने वाले बंसत के मौसम का एहसास ही नहीं हुआ। प्रचंड गर्मी ने बंसत के सुहाने मौसम को कहीं गुम कर दिया। मार्च महीने में देश के सभी मैदानी इलाकों में शहरों का तापमान 40 डिग्री के पार हो गया। इस प्रचंड गर्मी के चलते लोग घरों में ही दुबके रहे। बुधवार को देश में सबसे अधिक तापमान महाराष्ट्र के चंद्रपुर में 44.2 और अकोला में 43.2 डिग्री सेल्सियस रहा। ऐसे में सवाल उठता है कि इस बार मार्च इतना गर्म क्यों रहा। देश में सर्वाधिक तापमान कहां का रहा।
प्रचंड गर्मी ने तोड़ा रिकार्ड
1- हरियाणा के गुरुग्राम में मार्च में प्रचंड गर्मी ने सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। गुरुग्राम में रिकार्ड तापमान 40.5 डिग्री रहा। फरीदाबार में एक सप्ताह के अंदर तापमान 41.1 डिग्री रहा। यह एक रिकार्ड है। पंजाब के मुक्तसर में बुधवार को तापमान 40.3 डिग्री से अधिक रहा। राजस्थान के 28 क्षेत्रों में पारा 40 डिग्री के पार रहा। उत्तर प्रदेश के 18 प्रमुख शहरों में तापमान 40 डिग्री से अधिक दर्ज हुआ। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में पारा 43 डिग्री तक पहुंच गया।
2- देश की राजधानी दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिचमी उत्तर प्रदेश व पूर्वी राजस्थान में तापमान लगातार तीन दिनों तक 40 डिग्री से अधिक दर्ज हुआ। देश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब महाराष्ट्र, ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मार्च में एक दशक में तापमान 40 डिग्री से ज्यादा रहा। इन सभी इलाकों में गर्मी का नया रिकार्ड बना है।
क्यों गर्म रहा मार्च
1- स्काईमेट के महेल पलावत का कहना है कि देश में इस गर्मी के लिए पाकिस्तान व थार से आने वाली गर्म हवाएं जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर अप्रैल के पहले हफ्ते तक पश्चिम विक्षोभ के कारण पहाड़ों पर बर्फबारी और बारिश होती है, लेकिन इस बार मौसम सूखा रहा। पूरे मार्च महीने में उत्तर भारत में एक भी दिन बारिश नहीं हुई। हालांकि, पहाड़ों पर एक दो विक्षोभ आए लेकिन वह बहुत कमजोर साबित हुए। पाकिस्तान और थार मरुस्थल से आ रही गर्म हवा और शुष्क मौसम के चलते भारत में तापमान का रिकार्ड टूटा है।
2- मौसम विभाग के वैज्ञानिक दहिया का कहना है कि ला-नीना के चलते उत्तर भारत में प्रचंड गर्मी पड़ी है। उन्होंने कहा प्रचंड गर्मी के दो कारण नजर आ रहे हैं। लांगटर्म में यह वर्ष भी ला-नीना वर्ष है। ऐसे में वर्षो में सर्दी बहुत पड़ती है। मार्च में तापमान सामान्य से 8-10 डिग्री तक बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पीक सीजन में तापमान ज्यादा नहीं बढ़े। पश्चिमी विक्षोभ व साइक्लोनिक सर्कुलेशन ऐसे बन रहे हैं कि बीच-बीच में बारिश की संभावना प्रबल हो। उन्होंने कहा कि इस प्रचंड गर्मी का दूसरा कारण यह है कि अभी उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में एंटी साइक्लोनिक सर्कुलेशन का प्रभाव है। इस कारण हवा में नमी खत्म हो गई है। इससे बादल नहीं बनते।
3- पश्चिम राजस्थान, गुजरात विदर्भ, तेलंगाना, ओडिशा और तेलंगाना में मार्च के महीने में दो से तीन दिनों तक तापमान 40 डिग्री के पार जाता था। इस बार स्थिति थोड़ी भिन्न है। दिल्ली में 15 मार्च के बाद तापमान सामान्य से 5-10 डिग्री अधिक है। जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल में 19 से 27 मार्च तक तापमान 9 से 10 डिग्री ज्यादा रहा। मैदानी इलाकों में 13 से 19 मार्च हीटवेव शुरू हुआ। 27 मार्च से इसका दूसरा दौर शुरू हुआ। इसलिए अगले 15 दिनों तक लोगों को राहत मिलने की उम्मीद कम है। इस दौरान गर्म हवाएं चलेंगी।