‘द रिटर्न ऑफ’ चंद्रबाबू नायडू: 2019 में करारी हार, जेल… 6 साल बाद पलट दिया खेल, मोदी 3.0 में होगा अहम रोल

‘द रिटर्न ऑफ’ चंद्रबाबू नायडू: 2019 में करारी हार, जेल… 6 साल बाद पलट दिया खेल, मोदी 3.0 में होगा अहम रोल

अपने से कम उम्र के जगन मोहन रेड्डी से निराशाजनक हार मिलने के पांच साल बाद तेलुगू देशम पार्टी (TDP) अध्यक्ष एन. चंद्रबाबू नायडू इस चुनाव में अपनी पार्टी को आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में जबरदस्त जीत की ओर ले जाते दिख रहे हैं। राज्य में भाजपा और जनसेना पार्टी भी उनके साथ गठबंधन में हैं। मतगणना के ताजा आंकड़ों के अनुसार टीडीपी 175 सदस्यीय विधानसभा में दो सीट पर जीत हासिल कर चुकी है और 130 पर आगे है, वहीं उसकी सहयोगी भाजपा सात पर और जनसेना पार्टी 20 सीट पर आगे हैं। निवर्तमान विधानसभा में टीडीपी के 23 सदस्य हैं। वहीं, लोकसभा चुनाव के शुरुआती रुझानों में चंद्रबाबू नायडू की TDP 25 में से 16 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। लिहाजा वह केंद्र में मोदी सरकार बनाने में अहम रोल निभा सकते हैं।

गिरफ्तारी से लेकर आंध्र में नया अध्याय शुरू करने तक का सफर

पिछले साल सितंबर में नायडू को स्किल डेवलेपमेंट घोटाले में राज्य की सीआईडी ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्होंने खुद को फिर से राजनीतिक रूप से साबित किया है। टीडीपी ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है पार्टी कुल 25 में से 16 सीट पर आगे है, वहीं उसकी सहयोगी भाजपा और जनसेना पार्टी क्रमश: 3 और दो सीट पर आगे हैं। आंध्र प्रदेश में अलग-अलग समय पर 13 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान कई कीर्तिमान रच चुके नायडू को आईटी क्षेत्र में अपने राज्य को अग्रणी स्थान पर ले जाने का श्रेय दिया जाता है तथा वह राज्य ही नहीं केंद्र की राजनीति के भी कुशल रणनीतिकार रहे हैं

2018 में NDA से तोड़ा था नाता

नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे को लेकर मार्च, 2018 में NDA से नाता तोड़ लिया था, लेकिन वर्ष 2019 के विधानसभा व लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार ने उन्हें सियासी नेपथ्य में धकेल दिया। ठीक छह साल बाद मार्च, 2024 में नायडू ने NDA में वापसी की और आंध्र प्रदेश में भाजपा, जनसेना के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा। गठबंधन के तहत प्रदेश की कुल 175 विधानसभा सीट में से टीडीपी 144, जनसेना 21 और भाजपा 10 सीट पर चुनाव लड़ी। राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन में होने के बावजूद मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दे पर नायडू ने अपना अलग रुख रखा और मुस्लिम आरक्षण की पैरवी की। उन्होंने खुलकर कहा, ”हम शुरू से ही मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं और यह जारी रहेगा।’’ हालांकि अपने घोषणापत्र में टीडीपी ने इस मुद्दे से दूरी बना ली।

आंध्र में सबसे ज्यादा समय तक रहे मुख्यमंत्री

एनडीए में लौटने के बाद भले ही नायडू प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हर मौके पर सराहना करते दिखे हों, लेकिन पूर्व में उनके साथ रिश्ते सहज नहीं रहे हैं। नायडू ने 2002 में गुजरात दंगे के बाद मोदी का विरोध किया था। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर नायडू के नाम पर कई कीर्तिमान भी हैं। वह आंध्र प्रदेश के सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्होंने कई कार्यकाल में 13 साल 247 दिन तक मुख्यमंत्री का पद संभाला है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के वह ऐसे एकमात्र नेता हैं जिन्होंने अविभाजित और विभाजन (आंध्र से अलग कर तेलंगाना का गठन) के बाद राज्य की बागडोर संभाली। मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान नायडू की छवि एक आर्थिक सुधारक और सूचना प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले नेता की रही है। उन्होंने हैदराबाद को साइबर सिटी के तौर पर विकसित किया। उन्होंने राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया, जिसमें नई राजधानी अमरावती का निर्माण भी शामिल है।

NDA के संयोजक भी रहे नायडू

राज्य ही नहीं राष्ट्रीय राजनीति में भी नायडू का खासा दबदबा रहा है। वर्ष 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने संयुक्त मोर्चा का नेतृत्व किया। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को समर्थन देने से पहले वह संयुक्त मोर्चा के संयोजक थे। नायडू एनडीए के संयोजक भी रहे। एन. चंद्रबाबू नायडू का जन्म 20 अप्रैल 1950 को आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव नारावरिपल्ले में हुआ था। उनके पिता एन खर्जुरा नायडू एक किसान थे और उनकी मां अम्मानम्मा एक गृहिणी थीं। नायडू ने शेषपुरम के स्कूल से प्राथमिक शिक्षा और चंद्रगिरि के सरकारी स्कूल से 10वीं की। इसके बाद तिरुपति से 1972 में श्री वेंकटेश्वर आर्ट्स कॉलेज से स्नातक और वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक किया। उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी भी की है।

सियासी सफर-

नायडू का सियासी सफर 1970 के दशक में शुरू हुआ और परास्नातक की पढ़ाई के दौरान वह श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में छात्र संघ के नेता निर्वाचित हुए। इसके बाद वह युवा कांग्रेस में शामिल हो गए और फिर आंध्र प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) में चले गए। उन्होंने फिल्म अभिनेता और पार्टी संस्थापक एनटी रामा राव की पुत्री भुवनेश्वरी से विवाह किया। नायडू पहली बार 1978 में आंध्र प्रदेश विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए और मंत्री के रूप में कार्य किया। वर्ष 1995 में, वह अपने ससुर एन टी रामा राव के राजनीतिक तख्तापलट के बाद पहली बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। नायडू 1999 में फिर से मुख्यमंत्री चुने गए और 2004 तक पद पर रहे। आंध्र प्रदेश का विभाजन कर तेलंगाना का गठन किये जाने के बाद 2014 में वह तीसरी बार राज्य (आंध्र प्रदेश) के मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी से करारी हार के बाद टीडीपी सत्ता से बाहर हो गई थी।

किंग मेकर बनकर उभरे नायडू

अब फिर आंध्र प्रदेश में टीडीपी ने हैरतअंगेज रूप से दोहरा प्रदर्शन करके सबको चौंका दिया है। टीडीपी ने जहां राज्य के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के साथ वापसी की है, वहीं लोकसभा में भी शानदार प्रदर्शन किया है। लोकसभा चुनाव परिणाम की बात करें तो टीडीपी 16 सीटों पर लीड कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, चंद्रबाबू नायडू 9 जून को आंध्रप्रदेश के सीएम पद की शपथ ले सकते हैं। जगन मोहन रेड्डी से निराशाजनक तरीके से पिछला विधानसभा चुनाव हारने वाले नायडू एक बार फिर से किंग मेकर बनकर उभरे हैं।


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