Republic Day: संविधान में अबतक 104 बार हो चुका है संशोधन, जानें कुछ बड़े बदलाव

Republic Day: संविधान में अबतक 104 बार हो चुका है संशोधन, जानें कुछ बड़े बदलाव

नई दिल्ली । भारतीय संविधान में समय-समय पर जरूरत पड़ने पर संशोधन होते रहे हैं। संविधान के लागू होने के बाद से अत तक 104 संशोधन हो चुके हैं। 26 नवंबर 1949 को संविधान पारित हुआ और 26 जनवरी 1950 को औपचारिक रूप से लागू किया गया था। 26 नवंबर के दिन को भारत के संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। अब तक 126 संविधान संशोधन विधेयक संसद में लाये गये हैं, जिनमें से 104 संविधान संशोधन विधेयक पारित हो चुके हैं। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है। संविधान को पूर्ण रूप से तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन का समय लगा था। भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन से लेकर गरीब सवर्णों को आरक्षण देने तक के लिए कई संशोधन इसमें किए गए हैं।

आईए जानते हैं बीते 71 वर्षों में कछ महत्वपूर्ण संशोधनों के बारे में…

संविधान में पहला संशोधन

इसे संसद में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा 10 मई 1951 को पेश किया गया जिसे 18 जून 1951 को संसद में पास कर दिया गया। संविधान के पहले संशोधन के तहत मौलिक अधिकारों में कुछ परिवर्तन किए गए और भाषण तथा अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार आम आदमी को दिया गया।

संविधान में अंतिम संशोधन

126वां संविधान संशोधन विधेयक 2 दिसंबर 2019 को संसद में लाया गया था। यह भारतीय संविधान का 104वां संसोधन था। इसके तहत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन किया गया और लोकसभा और विधानसभाओं में अनुसूचित जानतयों एवं जनजानतयों के लिए आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष के लिए और बढा दिया गया था। इससे पहले इस अरक्षण की सीमा 25 जनवरी 2020 थी।

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019

साल 2019 में संसद ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को पारित किया, जो राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अधिनियम बन गया है। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 को नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करने के लिये लाया गया था। नागरिकता अधिनियम, 1955 नागरिकता प्राप्त करने के लिये विभिन्न आधार प्रदान करता है।

सामान्य वर्ग को 10 फीसद आरक्षण

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को 10 फीसद आरक्षण देने से संबंधित 124वां संविधान संशोधन बिल पास हुआ। राज्यसभा में इस बिल के समर्थन में कुल 165 मत पड़े जबकि सात लोगों ने इसका विरोध किया। वहीं लोकसभा में इसके समर्थन में 323 मत पड़े जबकि विरोध में केवल 3 मत डाले गए।

भाषीय आधार पर राज्यों का पुनर्गठन

भारतीय संविधान में सांतवा संशोधन 1956 को लगू किया गया था। इस संशोधन द्वारा भाषीय आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया, जिसमें अगली तीन श्रेणियों में राज्यों के वर्गीकरण को समाप्त करते हुए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में उन्हें विभाजित किया गया। इसके साथ ही, इनके अनुरूप केंद्र एवं राज्य की विधान पालिकाओं में सीटों को पुनर्व्यवस्थित किया गया

दल बदल कानून

1985 में 52वें संविधान संशोध नके जरिए संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़ी गई, जिसे दल-बदल विरोधी कानून कहा जाता है। इसमें दल बदलने वालों की सदस्यता समाप्त करने का प्रावधान किया गया।

जीएसटी व्यवस्था लागू

देश में वस्तु एवं सेवा कर लागू करने के लिए भारतीय संविधान में 101वां संशोधन किया गया। इसका उद्देश्य राज्यों के बीच वित्तीय बाधाओं को दूर करके एक समान बाजार को बांध कर रखना है। यह संपूर्ण भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाने वाला एकल राष्ट्रीय एकसमान कर है।

99वें संशोधन को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित किया

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय न्यायिक आयोग के गठन के संबंधित 99वें संविधान संशोधन को असंवैधानिक करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को जजों द्वारा जजों की नियुक्ति की 22 साल पुरानी कॉलेजियम प्रणाली की जगह लेने वाले एनजेएसी कानून, 2014 को निरस्त कर दिया था। पांच जजों की संविधान पीठ ने चार-एक के बहुमत से फैसला लिया था।