अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना हटाने की योजना फिर अटकी, भारत पर पड़ेगा असर
- ईरान से तनाव की आड़ में ट्रंप को मिला सेना नहीं हटाने का ठोस बहाना
- सैनिकों के साथ वायुसेना, यूएवी और खतरनाक हथियारों पर बड़ा जखीरा
ईरान-अमेरिका तनाव के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अफगानिस्तान से अपनी सेना नहीं हटाने का ठोस बहाना मिल गया है। घरेलू राजनीतिक दबाव और चुनावी पैंतरों के मद्देनजर ट्रंप पिछले साल भर से तालिबान से बातचीत और अफगानिस्तान में मौजूद 14,000 अमेरिकी सैनिकों को हटाने की वकालत कर रहे थे। हालांकि भारतीय एजेंसियों को पहले ही इस बात का अंदेशा था कि अमेरिकी निकट भविष्य में अफगानिस्तान से अपने सेना नहीं हटाएगा।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान मामलों पर काम करने वाले सूत्रों ने अमर उजाला को बताया कि ईरान के साथ उपजे गंभीर तनाव ने ट्रंप को सेना नहीं हटाने की बड़ी वजह दे दी है। इसके पहले 2009 में बराक ओबामा की सरकार के समय से अफगानिस्तान में फोर्स कम करने की बात हो रही है। लेकिन हर बार किसी ना किसी वजह से यह टल रहा है।
2017 में ट्रंप सरकार ने पाकिस्तान समर्थित तालिबान, आईएसआईएस और अलकायदा को खत्म करने के नाम कर 3,000 सैनिक और भेज दिए थे। इस दौरान अफगानिस्तान की सेना को ट्रेनिंग के नाम पर भी अमेरिकी सैनिक अलग-अलग इलाकों में जमी रही। लेकिन पिछले साल भर से अमेरिकी सिविल सोसाइटी के सेना हटाने के दबाव के चलते ट्रंप खुले तौर पर इस बाबत गंभीरता दिखाने लगे थे। इस सिलसिले में तालिबान से बातचीत के कई दौर भी चले।
सूत्रों के मुताबिक दुनिया भर की खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हुए जब नवंबर में ट्रंप अचानक अफगानिस्तान के बगराम स्थित अमेरिकी एयरफोर्स बेस का दौरा कर अपने सैनिकों से मिले। तब तक ईरान के साथ तनाव बढ़ने लगा था और प्रतिबंध का दौर शुरू हो चुका था।
सूत्रों ने बताया कि अब आतंकवाद का हब माने जाने वाले अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर कई नए समीकरण बनेंगे। इसका असर भारत की सामरिक और सुरक्षा मामलों पर भी पड़ेगा। अफगानिस्तान में सेना को मौजूद रख अमेरिका एक साथ रूस, चीन और ईरान को साध सकता है। अफगानिस्तान में अमेरिकी के सिर्फ सैनिक ही नहीं बल्कि वायुसेना, यूएवी और खतरनाक हथियारों पर बड़ा जखीरा मौजूद है।