संसद में पेश होने के बाद समिति को भेजा गया नया आयकर विधेयक, इन पांच प्वाइंट्स पर है सरकार का फोकस

संसद में पेश होने के बाद समिति को भेजा गया नया आयकर विधेयक, इन पांच प्वाइंट्स पर है सरकार का फोकस
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में नया आयकर विधेयक पेश किया। इस विधेयक के पेश होते ही सदन में विपक्ष के सांसदों ने जबरदस्त विरोध किया। माना जा रहा है कि नया विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम की जटिल शब्दावली को कम करने और इसको आसान बनाने में मदद करेगा।संसद के पटल पर बिल के पेश होते ही विपक्ष के कुछ सदस्यों ने वॉकआउट कर दिया। कुछ सांसदों ने कई सवाल खड़े किए। कांग्रेस के मनीष तिवारी और आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि नया कर बिल वास्तव में पुराने से कहीं ज्यादा जटिल है।

 

 

पांच सिद्धांतों पर आधारित हैं नए कानून

इससे पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में वित्त मंत्रालय ने कहा कि नई कर प्रणाली पांच मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है। इन पांच सिद्धांतों में सुव्यवस्थित संरचना और भाषा (Streamlined structure and language), एकीकृत और संक्षिप्त (Integrated and concise), न्यूनतम मुकदमेबाजी (Minimised litigation) , व्यावहारिक और पारदर्शी (Practical and transparent), सीखें और अनुकूलित करें (Learn and adapt), तथा कुशल कर सुधार (Efficient tax reforms) शामिल हैं। 

आपको बता दें कि नए विधेयक में पुराने और गैर जरूरी प्रावधान हटा दिए गए हैं। इससे कानून अधिक प्रासंगिक हो गया है। मुकदमेबाजी कम करने और टैक्स मामलों को जल्दी सुलझाने पर ध्यान दिया गया है। इसे आम नागरिकों के समझने लायक बनाया गया है।

संसदीय कमेटी को भेजा गया विधेयक

वित्त मंत्री ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया। यहां पर विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया। हालांकि, विपक्ष ने इस बिल का जमकर विरोध किया। इसके बाद इस बिल को संसदीय समिति को भेज दिया गया है। ये समिति नए कर प्रस्तावों की जांच करेगी और यदि आवश्यक हो तो इसमें बदलाव करेगी। समिति की सिफारिशों के बाद इसे संसद में फिर से पेश किया जाएगा।माना जा रहा है कि समिति इस बिल पर 10 मार्च को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकती है। इस समिति का गठन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला करेंगे।

वित्त मंत्रालय ने इस बिल पर क्या कहा?

इस विधेयक के पेश हो जाने के बाद सीतारमण के कार्यालय ने ट्वीट किया,”नया आयकर विधेयक पेश किया गया है। विधेयक का उद्देश्य आज तक संशोधित मौजूदा कानून की भाषा को सरल बनाना है। विधेयक की (एक प्रति) हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है। हमारे अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न उद्देश्यों और परिणामों के बारे में सामान्य प्रश्नों को संबोधित करते हैं।”

क्या है नया आयकर विधेयक?

माना जा रहा है कि अगर ये बिल पास हो जाता है तो नया कानून 1 अप्रैल, 2026 से लागू होगा। हालांकि, यह मौजूदा कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं करेगा। नए बिल में अब ‘असेसमेंट ईयर’ (Assessment Year) की जगह ‘टैक्स ईयर’ (Tax Year) होगा। टैक्स ईयर भी 1 अप्रैल से 31 मार्च तक रहेगा जैसे वित्त वर्ष होता है। वहीं, अगर कोई व्यवसाय बीच में शुरू होता है, तो उसका टैक्स ईयर उसी वित्त वर्ष में खत्म होगा। 

इसके साथ ही TDS और प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन (Presumptive Taxation) को टेबल फॉर्मेट में पेश किया गया है। इससे टैक्सपेयर्स को यह समझने में आसानी होगी कि उन्हें कितना टैक्स देना है। 

पुराने अधिनियम को बदलने की तैयारी

ऐसे देखें तो नया विधेयक 1961 के अधिनियम को बदलने की कोशिश करता है। 1961 के अधिनियम की हमेशा से आलोचना होते आई है, क्योंकि पिछले 60 सालों में इसमें कई संशोधन किए गए। लोकसभा में बोलते हुए आज वित्त मंत्री ने कहा कि आयकर अधिनियम मूल रूप से 1961 में अधिनियमित किया गया था और 1962 में लागू हुआ। 

केंद्रीय बजट के दौरान वित्त मंत्री ने किया था एलान

बता दें कि गत 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर बिल को लेकर घोषणा की थी। उन्होंने इसके अलावा टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव किया था और टैक्स में बड़े छूट का एलान किया था। 

एलान के अनुसार इस वित्त वर्ष से जिन व्यक्तियों का वेतन 12 लाख रुपये सालाना है, उन्हें किसी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई व्यवस्था के लिए कर स्लैब में भी बदलाव किया, जिसमें 20 लाख रुपये से कम वेतन वाले लोगों के लिए 25 प्रतिशत ब्रैकेट को 24 लाख रुपये की श्रेणी में जोड़ा गया।


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