साहित्यिक संस्था जहान-ए-अदब एकेडमी की ओर से हुआ मुशायरे का आयोजन हुआ

साहित्यिक संस्था जहान-ए-अदब एकेडमी की ओर से हुआ मुशायरे का आयोजन हुआ
  • मुशायरे व कवि सम्मेलन में अपनाvc z कलाम पेश करते शायर तनवीर अजमल

देवबंद [24CN]: ईद-उल-अजहा त्यौहार के अवसर पर सामाजिक एवं साहित्यिक संस्था जहान-ए-अदब एकेडमी की ओर से मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों और कवियों ने शानदार रचनाएं सुनाकर जमकर वाहवाही बटोरी।

मोहल्ला बेरुन कोटला स्थित उर्दू घर में आयोजित कार्यक्रम में सूफी कमरुज्जमा कमर ने सुनाया कि उनके होंठों पे नफरत के शरारे तो क्या, हम तो शोलों को भी गुलजार बना देते हैं। डा. अदनान अनवर ने सुनाया..कुछ इस तरह से मुकद्दर लिखा गया अपना, मैं दूर जा न सका वो करीब आ न सके। दिलशाद खुशतर ने पढ़ा कि जिंदगी अब सजा न हो जाए, दिल किसी पर फिदा न हो जाए। उस्ताद शायर शमीम किरतपुरी ने कुछ यूं कहा..तू अभी वाकिफ नहीं है इश्क के अंजाम से, एक दिन जाता रहेगा चैन से आराम से। एकेडमी के चेयरमैन तनवीर अजमल ने अपने दिल के जज्बात कुछ इस तरह बयां किए कि अगर नहीं थी मोहब्बत बता दिया होता, कभी का हमने भी तुमको भुला दिया होता।

आजम साबरी ने सुनाया कि खुदा से रात दिन मांगा है उसको, ये ही बस इक इबादत की है मैंने सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। इनके अलावा सरवर उस्मानी, सुहैल अकमल, महताब आजाद, रजी उस्मानी आदि ने भी अपना कलाम पेश किया। अध्यक्षता कमरुज्जमा साबरी और संचालन तनवीर अजमल ने किया। इसमें मुदस्सिर खान, सैयद अफजाल साबरी, मसरुर, नफीस खान, गाजी वाजदी, सैयद आसिफ, हमजा, सैयद अली साबरी, नदीम एड., सलीम अंसारी, लियाकत, नसीम अंसारी आदि मौजूद रहे।