महावसूली के तूफान में फंसी महाअघाड़ी सरकार, भाजपा ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री को हटाने के लिए बढ़ाया दबाव
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नई दिल्ली । हर महीने सौ करोड़ की महावसूली के सियासी तूफान में घिरे महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर इस्तीफा देने का दबाव बहुत बढ़ गया है। भाजपा ने देशमुख के इस्तीफे की मांग के साथ सीधे-सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा प्रमुख शरद पवार को भी वसूली के आरोपों में लपेट लिया है। भाजपा नेता केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने महावसूली प्रकरण की जांच राज्य के बाहर की स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग कर देशमुख को तत्काल हटाने का दबाव बढ़ा दिया। रविशंकर ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पत्र से हुए इस सनसनीखेज पर्दाफाश को लेकर सूबे की सरकार के शीर्ष लोगों की मिलीभगत की जांच की भी मांग की।
पवार ने माना गृहमंत्री देशमुख पर लगे आरोप संगीन
उधर, शरद पवार ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए यह माना कि देशमुख पर लगे आरोप संगीन हैं। इसलिए उनके इस्तीफे को लेकर गठबंधन अगले एक दो दिन में कोई फैसला लेगा। हालांकि शिवसेना के सूत्रों का कहना है कि देशमुख को हटाने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है। अभी एएनआइ की जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही कोई फैसला होगा। संभावना जताई जा रही है कि सोमवार को शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेता दिल्ली में पवार से चर्चा करेंगे।
देशमुख को पद से हटाने का सियासी अभियान चौतरफा तेज
उधर, भाजपा ने महाराष्ट्र सरकार को घेरने के साथ देशमुख को पद से हटाने का सियासी अभियान चौतरफा तेज कर दिया है। राज्य के नेता विपक्ष देवेंद्र फडनवीस ने मुंबई में ठाकरे सरकार पर तो भाजपा के वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता रविशंकर प्रसाद ने पटना में इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार पर हमला बोला। रविशंकर ने कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बताया है कि गृहमंत्री देशमुख पर हर महीने 100 करोड़ की वसूली करने का जिम्मा सहायक सब इंस्पेक्टर सचिन वाझे को दिया था। इसको लेकर हंगामा स्वाभाविक है। सचिन वाझे वर्षों तक सस्पेंड था और कोरोना काल में उसको नियुक्त कराया गया। ऐसे में भाजपा की तरफ से पहला सीधा सवाल है कि वाझे की दुबारा नियुक्ति किसके दबाव में की गई।
राकांपा और शिवसेना के शीर्ष नेतृत्व की भूमिका पर सवाल
राकांपा और शिवसेना के शीर्ष नेतृत्व की इसमें भूमिका होने का सवाल उठाते हुए उन्होंने पवार और उद्धव दोनों को घेरा और सवाल उठाया कि क्या इसके लिए शिवसेना का दबाव था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री या शरद पवार का दबाव था। उन्होंने कहा कि भाजपा का यह सवाल इसलिए वाजिब है कि विधानसभा के अंदर और बाहर मुख्यमंत्री और राकांपा के शीर्ष नेताओं ने सचिन वाझे की दुबारा नियुक्ति को सही ठहराया और बचाव किया। जबकि उसका ट्रैक रिकार्ड काफी समय से गड़बड़ है।
महाराष्ट्र सरकार पर वार
रविशंकर ने कहा कि हमारी आशंका है कि पूरी महाराष्ट्र सरकार सचिन वाझे को बचा रही है और अंदर बहुत सारे काले राज हैं। उन्होंने कहा कि शरद पवार वरिष्ठ नेता हैं मगर उनकी भूमिका पर भी संदेह उठ रहा है। उन्होंने पूछा कि पूर्व पुलिस कमिश्नर द्वारा किस कारण से पवार को ब्रीफ किया जा रहा था। जबकि वे महाराष्ट्र सरकार के अंग नहीं हैं। अगर इतने गंभीर आरोपों पर पवार को ब्रीफ किया जा रहा था तो उन्होंने इसे रोकने के लिए अपने स्तर पर कार्रवाई क्यों नहीं की।
उद्धव पर सवाल दागते हुए भाजपा नेता ने कहा कि एक सहायक सब इंस्पेक्टर का सदन में मुख्यमंत्री द्वारा बचाव किया जा रहा है आखिर उसकी इतनी कुव्वत कैसे है। तो दूसरी ओर गृहमंत्री उसे हर महीने 100 करोड़ रुपये उगाही के लिए कह रहे हैं और यह बेहद गंभीर बात है। महाविकास गठबंधन को घेरते हुए रविशंकर ने कहा कि मुंबई का 100 करोड़ रुपये का वसूली का टारगेट था? तो पवार और ठाकरे बताएं कि पूरे महाराष्ट्र का टारगेट क्या था? उन्होंने कहा कि इसे भ्रष्टाचार नहीं बल्कि आपरेशन लूट कहते हैं। जाहिर तौर यह एक बहुत गंभीर विषय है और भाजपा एक बाहरी एजेंसी से निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग करती है।
उधर, राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने पत्रकारों से बातचीत में देशमुख को हटाए जाने का संकेत दिया। अपनी पार्टी के नेता और देशमुख पर लगे आरोपों को लेकर पवार ने कहा कि गृहमंत्री पर लगे आरोप गंभीर हैं। मुख्यमंत्री उद्धव को उनके खिलाफ कार्रवाई का निर्णय लेना हैं? और एक-दो दिन में बातचीत कर इस पर फैसला लिया जाएगा। पवार ने कहा कि इस पर उनकी मुख्यमंत्री से बातचीत हुई है। परमबीर के पत्र के बारे में पवार ने कहा कि इसमें कहीं नहीं लिखा कि क्या पैसे दिए गए हैं।
पवार ने पूछा कि परमबीर ने ये आरोप तब क्यों नहीं लगाए जब वे पुलिस कमिश्नर के पद पर थे। पवार ने इस प्रकरण की जांच को लेकर उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री उद्धव से कहेंगे कि गृहमंत्री के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं इसलिए ऐसे अधिकारी से जांच कराई जाए जिनकी निष्ठा अच्छी हो। पवार ने जांच के लिए पूर्व चर्चित पुलिस अधिकारी जुलियस रिबेरो से जांच कराने का भी सुझाव दिया। उन्होंन यह भी कहा कि सचिन वाझे को दुबारा बहाल करने का फैसला खुद परमबीर का था। मुख्यमंत्री या गृहमंत्री की इसमें कोई भूमिका नहीं थी।