निशिकांत दुबे के बयान का वकील ने किया जिक्र तो बोला सुप्रीम कोर्ट- मर्यादा और प्रतिष्ठा बनाए रखें

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने संस्था की मर्यादा और प्रतिष्ठा को बनाए रखने की अपील की है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर निशिकांत दुबे के बयान का जिक्र नहीं किया. उन्होंने सोमवार (21 अप्रैल, 2025) को तब यह टिप्पणी की जब सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया गया कि एक सांसद ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ टिप्पणी की है.
याचिकाकर्ता और एडवोकेट विशाल तिवारी ने वक्फ संशोधन कानून को लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के दौरान नफरत भरे भाषणों को लेकर दायर अपनी जनहित याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी. उस वक्त विशाल तिवारी ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच को इस वाकिए से अवगत कराया.
विशाल तिवारी, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयानों का जिक्र कर रहे थे, जिन्होंने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए. बेंच ने विशाल तिवारी से कहा, ‘हमें आरोपों में भी संस्था की मर्यादा और प्रतिष्ठा बनाए रखनी चाहिए. अनुच्छेद 32 (के तहत रिट) याचिका में, दिए गए कथन भी सम्मानजनक होने चाहिए.’
कोर्ट ने विशाल तिवारी को अपनी याचिका में संशोधन करने की अनुमति देते हुए उनसे सुप्रीम कोर्ट में कुछ ठोस लाने को कहा. बीजेपी ने निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणियों से दूरी बना ली और 19 अप्रैल को पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने इन टिप्पणियों को उनका निजी विचार बताया. विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में कहा कि था पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले और उत्तर 24 परगना में वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसा भड़क गई और उसमें कई लोगों की मौत हो गई और संपत्ति को नुकसान पहुंचा.
याचिका में कहा गया है, ‘कुछ लोगों के लिए यह राजनीति का अच्छा अवसर हो सकता है और कुछ पार्टियां राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल करती हैं. शांति बनाए रखने के बजाय राजनीतिक नेता भड़काऊ भाषण देते हैं जिससे स्थिति और खराब होती है.’ याचिका में, सुप्रीम कोर्ट के 21 अक्टूबर 2022 के आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें उसके प्राधिकारों को नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया गया था.
उन्होंने कहा, ‘नफरत फैलाने वाले भाषण देने वाले मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और संवैधानिक पदों पर आसीन राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.’ विशाल तिवारी ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन का निर्देश देने का अनुरोध किया था.
याचिका में, बंगाल सरकार को किसी भी समुदाय और व्यक्ति के खिलाफ नफरत भरे और भड़काऊ भाषणों पर कार्रवाई करने और उन पर अंकुश लगाने के निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था.