कानपुर। शीर्ष बाल अधिकार संस्था राष्ट्रील बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कमिश्नरेट पुलिस से इस बात की जांच करने को कहा कि क्या शुक्रवार को हुए उपद्रव में असामाजिक तत्वों ने बच्चों का भी इस्तेमाल किया था। पुलिस द्वारा जारी पोस्टर को देखकर किशोर ने थाने में आत्मसर्पण किया तब प्रकरण का आयोग ने भी संज्ञान कलिया है। संस्था की ओर यूपी पुलिस मुख्यालय व पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर ऐसे लोगों के खिलाफ बाल संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई करने को कहा है।

दरअसल, सोमवार को पुलिस ने जो पोस्टर वायरल किए थे, उसे देखकर एक किशोर ने मंगलवार को कर्नलगंज थाने में आत्मसमर्पण कर दिया। किशोर के परिवार ने उसकी तस्वीर पोस्टर पर देखी तो उसे लेकर वह कर्नलगंज थाने पहुंचे। वहां जाकर पता चला कि उक्त आरोपित किशोर है। इंटरनेट मीडिया में यह खबर वायरल हुई तो राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इसे गंभीरता से लिया। पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना को लिखे पत्र में संस्था की ओर से कहा है गया है कि उन्हें जानकारी मिली है कि सांप्रदायिक उपद्रव में असामाजिक तत्वों ने नाबालिगों को इस तरह की अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जो कि किशोर न्याय (देखभाल) की धारा 75 और 83 (2) का उल्लंघन है।

संस्था ने अनुरोध किया है कि उक्त मामले में आरोपितों के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम और आइपीएस की धारा में मुकदमा दर्ज कर जांच की जाए। साथ ही संस्था ने कर्नलगंज में आत्मसमर्पण करने वाले किशोर को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश करने का अनुरोध किया है। एनसीपीसीआर ने कमिश्नरेट पुलिस को पत्र मिलने के तीन दिनों के भीतर सीडब्ल्यूसी के समक्ष नाबालिग के बयान की एक प्रति और अन्य प्रासंगिक रिकार्ड के साथ कार्रवाई की रिपोर्ट देने को भी कहा है। पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना ने बताया कि अब तक उनको पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।