शिक्षा के क्षेत्र में आज भी प्रासंगिक है गीता के कर्मयोग का महत्व: रामकुमार

- सहारनपुर में गोष्ठी को सम्बोधित करते प्रधानाचार्य रामकुमार।
सहारनपुर [24CN]। प्रख्यात शिक्षाविद् व प्रधानाचार्य रामकुमार ने कहा कि आज के परिवेश में शिक्षा के क्षेत्र में गीता के कर्मयोग के सिद्धांत का उतना ही महत्व है जितना प्राचीन काल में थे। प्रधानाचार्य रामकुमार आज जंधेड़ा समसपुर स्थित स. वल्लभभाई पटेल इंटर कालेज में नवसंवत् 2079 के उपलक्ष में शिक्षा में गीता के कर्मयोग का महत्व विषय पर आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संशय नहीं है कि आज के परिवेश में गीता के कर्मयोग के सिद्धांत का शिक्षा के क्षेत्र में उतना ही महत्व है, जितना प्राचीनकाल में था। सभी मनुष्यों को विशेष रूप से छात्र-छात्राओं को बिना फल की चिंता करते हुए नि:स्वार्थ भाव से कर्म करते रहना चाहिए। समय आने पर उसका फल अवश्य मिलता है तथा वह फल अनंत सुख-शांति देने वाला होता है।
गोष्ठी के संयोजक व उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुरस्कृत शिक्षक बृजेश शर्मा ने कहा कि हम सबको ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र व छात्र-छात्राओं में जनजागरण का कार्यक्रम करते रहना चाहिए जिससे युवा पीढ़ी हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान करती रहे। गोष्ठी में ब्रह्मपाल सिंह उपाध्याय, सतीश कुमार, देवेंद्र कुमार, मनोज कुमार, राजेंद्र कुमार, वीरेंद्र सिंह, बिजेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह, सुनीता रानी, प्रवीण कुमार, सतीश मोहनपुर, नरेंद्र कुमार, प्रदीप कुमार, सोमपाल, प्रविंद्र कुमार, कृष्णपाल, लक्ष्मण सिंह पंवार, संजय पंवार, रामकुमार चेहड़ी आदि मौजूद रहे। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रधानाचार्य रामकुमार व संचालन बृजेश शर्मा ने किया।