अनाज मंडी हादसा : मौत की फैक्टरी में है एक ही दरवाजा, वो भी बाहर से बंद

अनाज मंडी हादसा : मौत की फैक्टरी में है एक ही दरवाजा, वो भी बाहर से बंद

मौत की फैक्टरी में अंदर आने और जाने के लिए एक ही रास्ता है। 600 गज की इमारत को तीन हिस्सों में बांटकर तीनों भाई 200-200 गज के अपने हिस्सों में फैक्टरी चला रहे थे। तीनों ही इमारतों में आने-जाने वाले रास्ते पर इन्होंने एक शटर लगाया हुआ था, जिसे हमेशा बंद रखा जाता था। रविवार को हादसे के समय भी यह बंद था। इसके अलावा, छत पर जीने के गेट पर भी ताला लगा था।

ऐसे में फैक्टरी से बच निकलना बेहद मुश्किल था। हादसे के बाद मजदूरों के लिए इमारत कैद का पिंजरा बन गई। वे न तो नीचे जा पाए और न ही ऊपर। फैक्टरी मालिक ने बाहर खिड़कियों वाली जगह को भी लोहे का जाल लगाकर पूरी तरह पैक किया हुआ था। वहां पर खिड़की खुली होती तो शायद कुछ मजदूरों की जान बच सकती थी।

इधर, रविवार को हुए हादसे के बाद फैक्टरियों की हालत की पोल खुली तो मालिकों को इनके बंद होने का खतरा सताने लगा है। यही वजह है कि पुलिस की मौजूदगी में भी दबंग फैक्टरी मालिक मजदूरों को किसी भी मीडियाकर्मी से बातचीत नहीं करने दे रहे थे। कोई पड़ोसी बातचीत करना चाहे तो दबंग इनके साथ गाली-गलौज कर आगे परिणाम भुगतने तक की धमकी दे रहे थे।

इस कारण ज्यादातर लोगों ने मीडिया से बातचीत करने से परहेज ही किया। अनाज मंडी इलाके से बाहर निकलकर एक पड़ोसी पंडित रामकुमार ने बताया कि पूरे इलाके में 24-24 घंटे काम होता है। एक-एक कमरा अलग-अलग लोग किराए पर लेकर अपनी छोटी-छोटी फैक्टरियां चला रहे हैं। इन कमरों में 10 से 15 मजूदरों को रखा जाता है।

मजदूर ज्यादा से ज्यादा समय फैक्टरी में बिताएं, यह सुनिश्चित करने के लिए मालिक मेन गेट को ज्यादातर बाहर से बंद कर देते हैं। ऐसी बहुत सी फैक्टरियां हैं, जहां नाबालिगों से जबरन काम कराने के आरोप लगते हैं। ये नाबालिग कहीं भाग न जाएं या कोई मजदूर मालिकों का माल इधर-उधर न कर दे, इस आशंका से भी मालिक मेन गेट को बाहर से बंद करके रखते हैं।

आरोपी फैक्टरी मालिक दिनभर मीडिया से बातचीत करने वाले लोगों को धमकाकर दौड़ाते रहे। यह सब पुलिस की मौजूदगी में ही चलता रहा। इन फैक्टरी मालिकों की पुलिस से मिलीभगत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि घटनास्थल के आसपास मौजूद पुलिसकर्मियों को ये खाने-पीने के अलावा चाय व पानी की बोतलें पहुंचाते रहे।