गांव के चहेते बन चुके सांड की मौत पर गमगीन हुआ पुरा गांव

- गांव कुरडी में सांड की तेरहवीं में ब्रहमभोज करते ग्रामीण
देवबंद [24CN] : आज के खुदगर्जी भरे दौर में जब एक इंसान दुसरे इंसान की मदद करने से करतराता है और आज का मानव जल्दी से किसी के सुखदुख में खडा नही होना चाहता है तो ऐसे दौर में यदि एक पशु की मौत पर पुरा गांव आंसू बहाए बाकयदा हवन यक्ष पुजन करें और तेरहवीं भी मनाये तो इसे क्या कहिएगा। ऐसी ही एक घटना देवबंद क्षेत्र के गांव कुरडी में प्रकाश में आयी है जहंा एक सांड की मौत होने पर पुरे गांव ने शोक मनाया और सांड की आत्मा की शांति के लिये हवन यज्ञ शांति पाठ और ब्रहमभोज का ग्रामीणों ने आयोजन किया।
दरअसल ये सांड कोई मामूली या साधारण सांड नही था बल्कि गांव के लोग सांड को बाबूजी कहकर पुकारा करते थे। ये सांड 18 वर्ष पहले गांव कुरडी में कही से आया था और तभी से इस गांव में रह रहा था। बच्चे बाबूजी सांड की सवारी करते थे और वह इतने शांत स्वभाव का था कि किसी को कुछ नही कहता था। कुछ दिन पूर्व सांड (बाबूजी) की तबीयत खराब हुई तो ग्रामीणों ने उसे बचाने का हर संभव प्रयास किया चिकित्सकों को दिखाया लेकिन सांड की जान नही बच पाई और उसकी मौत हो गई। अब यहंा यह विडम्बना देखिये कि यदि कोई इंसान मर जाये तो किसी गांव या पुरी बस्ती में लोग शोक मनाते होगें लेकिन इस सांड के मरने पर पुरे गांव के लोगों ने शोक मनाया और विधिविधान के साथ उसे दफनाया गया। शनिवार को सांड की तेरहवीं मनाई गई और तेरहवी की रस्म में जो भोजन बनाये जाते है वही पकवान बनाये गये। टेंट लगया गया और सांड को याद कर ग्रामीणों की आंखे भर आई यह घटना पुरे देवबंद क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।