बेरोजगारी का दंश झेल रहा पूरा घाड़ क्षेत्र, रोजगार के लिए कोई भी नेता अथवा पार्टी नहीं दे रहे ध्यान
बिहारीगढ़ [24CN] । आगामी कुछ ही दिनों में जिला पंचायत के चुनाव सहित ग्राम पंचायतों में भी क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं ग्राम प्रधान चुने जाएंगे। सभी राजनीतिक दल ग्राम सभा प्रधान से लेकर जिला पंचायत सदस्य बनवाने के लिए पार्टी नेताओं को गांव-गांव भेजकर नुक्कड़ सभाए करवा रहे हैं परंतु घाड क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि इस क्षेत्र में बेरोजगारी इस कदर बढ़ी हुई है कि कोई भी नेता या पार्टी प्रतिनिधि लोगों के इस दर्द को समझने की जरूरत नहीं समझ रहा जिसका खामियाजा जनता ही भुगत रही है। बीते 90 के दशक में शिवालिक की तलहटी में बसा हुआ घाड़ क्षेत्र उस वक्त खुशी के मारे झूम रहा था जब उन्हें नदियों से पत्थर चुगान कर क्रेशरो पर खनन कार्य के लिए रोजगार के कुछ अवसर मिलने शुरू हुए थे। लेकिन इस क्षेत्र में नदिया और सरकारी ग्राम समाज की जमीन को खोदकर खनन कारोबारी मालामाल हो गए परंतु गरीब ग्रामीणों की दशा बिल्कुल भी नहीं सुधर पाई।
आज भी हजारों ग्रामीण मजदूर रोजगार की तलाश में उत्तराखंड के देहरादून, रुड़की, हरिद्वार के अलावा कई अन्य पहाड़ी जनपदों में जाकर मजदूरी करने को विवश है। उत्तर प्रदेश की सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा सरकार बनती रही और घाड के लोगों को चुनाव के दौरान रोजगार के सपने दिखाती रही परंतु सत्ता हासिल करने के बाद किसी भी सरकार ने इस इलाके को कभी गरीब महसूस करते हुए ऐसा प्रयास नहीं किया जो यहां इंडस्ट्रीज स्थापित हो या कोई बड़ा कल कारखाना लग सके। जिससे गरीब लोगों को रोजगार के अवसर मिले ग्राम खुशहालीपुर के निवर्तमान प्रधान राजकुमार राणा, नौरंगपुर के प्रधान मांगेराम सैनी, बिहारीगढ़ के राजकिशोर सैनी, पूर्व प्रधान रविंदर धीमान, रहतू लाल आदि ने बताया कि बिहारीगढ़ कस्बे के आसपास बसे हुए 100 से अधिक गांव बरसात में बाढ़ से प्रभावित रहते हैं। गर्मियों में सूखे की मार झेलते हैं सर्दियों में जंगली जानवर गरीब किसानों की फसलों को चौपट कर देते हैं। सरकार को चाहिए कि वह इस क्षेत्र में कोई रोजगार का साधन मुहैया कराकर इस इलाके के बेरोजगारों को दो जून की रोटी कमाने के लिए अवसर दें।
उधर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं गणेशपुर (मोहण्ड) के दो बार प्रधान रह चुके राव गुलसन्नवर का कहना है कि सरकार गरीबों को रोजगार देने की बजाय गरीबों के पेट पर लात मारने का काम कर रही है। जंगल में गुजर बसर कर रहे घुमंतू वन गुर्जरों को वनों से बाहर कर अब इन गरीबो के पेट पर भी लात मारने की तैयारी शुरू हो गई है। वन गुर्जर समाज अनपढ़ हैं इनकी हमदर्दी भी शायद ही कोई सत्ताधारी पार्टी का नेता करता हो, गरीबों को मिलने वाले सस्ता राशन भी आज के दौर में पात्रता के मुताबिक मुश्किल से मिलता है। ऐसे हालात में कोई गरीबी के दौर में किसी सरकार से रोजगार की उम्मीद करें तो यह बेमानी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल इकाई बिहारीगढ़ अध्यक्ष अशोक राठौर, राजकुमार बत्रा, नमन खुराना, प्रवेश काम्बोज, विनोद गुप्ता आदि ने जरूरत महसूस करते हुए कहा कि सरकार को घाड इलाके में प्लाईवुड फैक्ट्री, शुगर मिल या कोई बड़ी फूड इंडस्ट्रीज लगानी चाहिए। जिससे पड़ोसी जनपद हरिद्वार की तरह लोगों को घर के नजदीक रोजगार मिल सके।
