नई दिल्ली । कोरोना मरीजों के इलाज में मदद करने वाले नेताओं पर लगे जमाखोरी के आरोपों के मामले में पर्याप्त जांच नहीं करने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को फटकार लगाई। ड्रग कंट्रोलर की तरफ से पेश की गई स्थिति रिपोर्ट को कचरा बताते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि ड्रग कंट्रोलर से अदालत का भरोसा उठ गया है। पीठ ने ड्रग कंट्रोलर को यह पता लगाने का निर्देश दिया था कि कोविड मरीजों की मदद के लिए भाजपा सांसद गौतम गंभीर, आप विधायक प्रवीण कुमार व अन्य नेताओं के कैसे बड़ी मात्रा में फैबी फ्लू जैसी दवाएं हासिल कीं।

सुनवाई के दौरान पीठ ने ड्रग कंट्रोलर को निर्देश दिया कि गंभीर और प्रवीण कुमार के मामले की जांच कर विस्तृत और व्यापक रिपोर्ट बुधवार यानी तीन जून तक दाखिल करें जिसमें डीलर और बिक्री को नियंत्रित करने वाले प्रासंगिक नियमों को भी स्पष्ट किया जाए। ड्रग कंट्रोलर की ओर से पेश अधिवक्ता नंदिता राव ने कहा कि गंभीर ने अपने गौतम गंभीर फाउंडेशन (जीजीएफ) के माध्यम से संजय गर्ग अस्पताल की मदद से 22 अप्रैल से 7 मई तक एक चिकित्सा शिविर का आयोजन किया था। इसके लिए उन्होंने डीलर से दवा ली थी।

ड्रग कंट्रोलर की रिपोर्ट के मुताबिक दवा कि किल्लत जैसी बात सच नहीं, क्योंकि डीलरों के पास आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त स्टाक था। इस पर पीठ ने कहा कि जांच पूरी तरह से संदिग्ध है। पीठ ने सवाल उठाया कि फैबी फ्लू के 2,628 स्टि्रप्स एक ऐसे फाउंडेशन को कैसे दिए जा सकते हैं जो न तो चिकित्सा से जुड़ा है और न ही उसके पास लाइसेंस है। पीठ के दृष्टिकोण में इस तरह मदद के नाम पर नेताओं की तरफ से भारी मात्रा में दवाएं खरीदने की वजह से उन लोगों को दवा नहीं मिली, जिन्हें जरूरत थी और फिर कुछ लोगों को मुंहमांगी रकम चुका कर दवा खरीदनी पड़ी। पीठ ने कहा अगर ड्रग कंट्रोलर अपना काम नहीं कर सकते हैं, तो उनको निलंबित कर किसी और को यह काम दे दिया जाएगा।

गंभीर के बयान पर जताई नाराजगी

याचिकाकर्ता दीपक सिंह की याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने इस तरह का काम जारी रखने के गंभीर के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह कदाचार है। अगर यह जारी रहता है, तो अदालत इससे निपटना जानती है। पीठ ने कहा कि लोगों की उद्धारकर्ता के रूप में प्रकट होने की प्रवृत्ति की निंदा की जानी चाहिए। प्रीति तोमर को राहत, प्रवीण मामले की बढ़ेगी मुश्किलइसी तरह के मामले में दो आप विधायकों के खिलाफ याचिका दायर करने वाले वेदांश आनंद की तरफ से पेश हुए सत्य रंजन ने कहा कि दोनों ही आक्सीजन की जमाखोरी कर रहे थे।

विधायक तोमर की तरफ से एक अस्पताल में पांच आक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति के संबंध में स्थिति रिपोर्ट को पीठ ने स्वीकार किया। पीठ ने कहा कि यह मामला वेंटिलेटर पर रखे शिशुओं के अस्पताल का है और आक्सीजन के संबंध में प्रीति तोमर के पति जितेंद्र तोमर ने फोन किया था। अस्पताल के सिलेंडर से ही आक्सीजन उपलब्ध कराया था। पीठ ने कहा कि किसी ऐसे व्यक्ति को बेवजह पीडि़त न करें जिसने मदद करने की कोशिश की हो। वहीं, प्रवीण कुमार मामले में ड्रग कंट्रोलर को आगे जांच करने का निर्देश दिया।