मार्च तक हो जाएगा जम्मू-कश्मीर का परिसीमन, आयोग कर रहा लगातार बैठकें

मार्च तक हो जाएगा जम्मू-कश्मीर का परिसीमन, आयोग कर रहा लगातार बैठकें
  • जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक के बाद परिसीमन की प्रक्रिया पर तेजी से काम शुरू हो गया था. उम्मीद की जा रही है कि मार्च 2022 तक परिसीमन हो जाएगा.  

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर परिसीमन की प्रक्रिया युद्धस्तर पर जारी है. पिछले दो दिन से परिसीमन आयोग जम्मू कश्मीर का दौरा कर लगातार बैठकें कर रहा है. सूत्रों का कहना है कि परिसीमन का काम अपनी तय समय सीमा से पहले यानी 5 मार्च, 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा. 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी. इसके बाद इसी साल 24 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. जानकारी के मुताबिक परिसीमन का काम चार आधार पर किया जाएगा.

जम्मू कश्मीर में तीन तक परिसीमन आयोग का दौरा 
राज्य में परिसीमन को काम को रफ्तार देने के लिए परिसीमन आयोग ने 6-9 जुलाई तक जम्मू-कश्मीर का दौरा किया. आयोग ने राज्य के राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधमंडल से मुलाकात कर उनकी सुझाव और आपत्तियां जानी. बैठक में सभी प्रमुख पार्टियों कांग्रेस, भाजपा, नेकां, पीडीपी, अपनी पार्टी, सीपीआई, पैंथर्स पार्टी आदि को बुलावा भेजा गया. 24 जून की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा था कि केंद्र जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और क्षेत्र में विधानसभा चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.

वर्षों से विसंगतियों को ठीक नहीं किया गया
केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह का इस संबंध में एक बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया का उद्देश्य हर वर्ग को विधानसभा क्षेत्र में उचित प्रतिनिधित्व दिलाना है. सिंह ने स्पष्ट कहा कि जम्मू-कश्मीर अन्य राज्यों से अलग है, क्योंकि यहां की विधानसभा सीटों की विसंगतियों को सालों से ठीक नहीं किया गया है.

आखिरी परिसीमन 1995 में हुआ था
जम्मू-कश्मीर में आखिरी परिसीमन 1995 में हुआ था. मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि पहला पूर्ण परिसीमन आयोग 1981 में गठित किया गया था जो 1995 में 14 साल बाद अपनी सिफारिश प्रस्तुत कर सका. यह 1981 की जनगणना पर आधारित था. उसके बाद, कोई परिसीमन नहीं हुआ. बता दें कि 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के पास होने के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया है. लद्दाख के अलग होने से जम्मू-कश्मीर में सिर्फ 107 विधानसभा सीटें रह गई हैं. इनमें 24 पाक अधिकृत कश्मीर में आती हैं. जबकि 46 कश्मीर और 37 जम्मू में आती हैं.

 


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