नई दिल्ली। सभी वर्गों और धर्मो के लिए समान कानून की व्यवस्था देने वाली समान नागरिक संहिता लंबे समय से चर्चा में है। उत्तराखंड जैसे कुछ राज्यों ने इसे लागू करने की दिशा में काम भी शुरू कर दिया है, लेकिन केंद्र सरकार के स्तर पर फिलहाल कोई गतिविधि नहीं है। केंद्र सरकार का कहना है कि समान नागरिक संहिता से संबंधित कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं इसलिए सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है।
केंद्र ने कहा- राज्यों को भी है अधिकार
केंद्र सरकार ने यह जरूर कहा कि पर्सनल ला में आने वाले विषय जैसे शादी, तलाक, वसीयत, उत्तराधिकार अविभक्त कुटुंब आदि संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची की प्रविष्टि पांच से संबंधित हैं इसलिए इनके बारे में राज्यों को भी कानून बनाने का अधिकार है।
21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता संबंधी मुद्दों की समीक्षा की
केंद्र सरकार की ओर से यह बात विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने शुक्रवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कही। कानून मंत्री ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-44 भारत के सभी नागरिकों को लिए समान नागरिक संहिता की बात करता है। 21वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता संबंधी मुद्दों की समीक्षा की है और व्यापक चर्चा के लिए कुटुंब विधि सुधार नामक परामर्श पत्र आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया है।
उत्तराखंड ने शुरू की पहल
मालूम हो कि गोवा अभी देश का एक मात्र राज्य है जहां समान नागरिक संहिता लागू है। अब उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा करते हुए उसका प्रारूप तैयार करने के लिए कमेटी भी बना दी है। पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग वाली छह याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित हैं।
केंद्र ने गहनता से अध्ययन की जरूरत बताई
हाई कोर्ट से उन पर केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी हुआ था और केंद्र ने पिछले साल ही हाई कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था। इसमें केंद्र ने इस पर गहनता से अध्ययन की जरूरत बताई थी, साथ ही कहा था कि यह मामला विधायिका के विचार करने का है इस पर कोर्ट को आदेश नहीं देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट में पांच स्थानांतरण याचिकाएं दाखिल
दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित इन याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में पांच स्थानांतरण याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, लेकिन उन पर अभी सुनवाई का नंबर नहीं आया है। पांच स्थानांतरण याचिकाओं में से एक दिल्ली भाजपा प्रवक्ता निघत अब्बास की है। निघत अब्बास ने स्थानांतरण याचिका में कहा कि भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की पांच याचिकाएं पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं जिनमें उठाई गई मांगें समान नागरिक संहिता से संबंधित हैं।
याचिकाओं पर केंद्र ने नहीं दाखिल किया है जवाब
उन याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया जा चुका है, ऐसे में समान नागरिक संहिता की मांग वाली उनकी दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित कर दिया जाए। अश्विनी उपाध्याय की समान नागरिक संहिता से जुड़े पांच महत्वपूर्ण मुद्दों शादी की समान आयु, तलाक, भरण पोषण, उत्तराधिकार, गोद लेने तथा संरक्षक पर कानूनों को सभी के लिए समान बनाने की मांग वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इन याचिकाओं पर जारी नोटिस का केंद्र ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है।