देश को मिला पहला सीडीएस, तीनों सेनाओं में तालमेल की कड़ी होंगे साझा सैन्य प्रमुख

देश को मिला पहला सीडीएस, तीनों सेनाओं में तालमेल की कड़ी होंगे साझा सैन्य प्रमुख
हैड्लाइन्स

  • मुख्य रक्षा व रणनीतिक सलाहकार का जिम्मा, सरकार व सैन्य बलों के बीच पुल
  • देश में नई शुरुआत, सैन्य बलों में साझी सोच विकसित करने की होगी चुनौती
  • सेनाओं में आपसी सामंजस्य व नेटवर्क बनाने का जिम्मा सीडीएस के कंधों पर
  • लंबे इंतजार के बाद देश को जनरल बिपिन रावत के रूप में प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) मिल गया है। आखिर, सीडीएस का क्या होगा कामकाज और कितना अहम होगा यह पद, जानिए इससे जुड़े तमाम पहलू…

सीडीएस एक ‘चार सितारा’ जनरल की हैसियत से आर्मी, नेवी और वायु सेना के साझा मुखिया होगा। हालांकि तीनों अंगों के अलग प्रमुख होंगे और उनका दर्जा भी चार सितारा ही होगा। सीडीएस के रूप में जनरल रावत सरकार के सैन्य सलाहकार होंगे और उसे महत्वपूर्ण रक्षा और रणनीतिक सलाह देंगे। तीनों सेनाओं के लिए दीर्घकालीन रक्षा योजनाओं, रक्षा खरीद, प्रशिक्षण और परिवहन के लिए प्रभावी समन्वयक का कार्य करेंगे।

खतरों और भविष्य में युद्ध की आशंकाओं के मद्देनजर तीनों सेनाओं में आपसी सामंजस्य और मजबूत नेटवर्क बनाने का जिम्मा सीडीएस के कंधों पर होगा। सेनाओं के संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए योजना बनाएंगे। साथ ही सेवा से जुड़ी अहम प्रक्रियाओं को आसान और व्यवस्थित बनाने में भूमिका निभाएंगे। सीडीएस के रूप में जनरल रावत के सामने तीनों सेनाओं की साझी सोच विकसित करने की चुनौती होगी।

परमाणु मसलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार

लगभग सभी परमाणु शक्तिसंपन्न देशों में सीडीएस का पद रखा गया है। भारत भी परमाणु शक्ति संपन्न देश है। लिहाजा, इससे जुड़े मसलों पर भी सीडीएस प्रधानमंत्री के सलाहकार होंगे।

कारगिल युद्ध के बाद हुई थी पहली चर्चा

सीडीएस बनाने की चर्चा दो दशक पहले शुरू हुई थी। 1999 में कारगिल युद्ध के बाद के. सुब्रमण्यम समिति ने उच्च सैन्य सुधारों की अनुशंसा करते हुए सीडीएस की बात कही थी। हालांकि, तब राजनीतिक असहमतियों के कारण इस पर बात आगे नहीं बढ़ पाई। फिर 2012 में नरेश चंद्रा समिति ने स्थायी चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) का चेयरमैन बनाने की अनुशंसा की थी। इसके बाद दिसंबर 2016  में रिटायर्ड ले. जनरल डीबी शेकटकर ने भी सीडीएस की नियुक्ति की सिफारिश की थी।

अभी तक सीओएससी चेयरमैन का था प्रावधान

वर्तमान में तीनों सेना प्रमुखों में सबसे सीनियर मुखिया ही, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। उनकी भूमिका सीमित और कार्यकाल बहुत छोटा रहता है। मसलन, एयर चीफ मार्शल (एसीएम) बीएस धनोआ ने 31 मई को एडमिरल सुनील लांबा के बाद सीओएससी का पदभार संभाला और 30 सितंबर तक इस पद पर रहे। इसके बाद यह पद वरिष्ठ सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को सौंप दिया गया, जो 31 दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं यानी इस पद पर उनका कार्यकाल तीन माह ही रहेगा।

इन प्रमुख देशों में भी तैनाती

ब्रिटेन : भारत ने ब्रिटेन की तर्ज पर सशस्त्र बलों और रक्षा मंत्रालय का मॉडल रखा है। ब्रिटिश सशस्त्र बलों पर एक स्थायी सचिव होता है, जिसकी हैसियत रक्षा सचिव और सीडीएस जैसी होती है। वह पीएम और रक्षा मंत्रालय का सलाहकार होता है और सैन्य ऑपरेशनों का जिम्मा उस पर होता है।

अमेरिका : दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य ताकत अमेरिका में चेयरमैन ऑफ जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ सभी सैन्य बलों का सर्वोच्च अधिकारी है। राष्ट्रपति और रक्षामंत्री का मुख्य सैन्य सलाहकार। ऑपरेशनल कमांड पर कोई अधिकार नहीं हैं।

इटली : यहां ‘द चीफ ऑफ द डिफेंस स्टाफ’ की नियुक्ति होती है। 04 मई 1925 को इस पद पर तैनाती शुरू हुई थी।

चीन : पड़ोसी चीन में ‘द चीफ ऑफ द जनरल स्टाफ’ का पद रखा गया है। 23 मई 1946 से इस पर नियुक्ति होती रही है।

फ्रांस : ‘द चीफ ऑफ द स्टाफ ऑफ द आर्मीज’ के नाम से जाना जाता है। सैन्य बल इसके अधीन। 28 अप्रैल 1948 में पहली तैनाती।

कनाडा : ‘द चीफ ऑफ द डिफेंस स्टाफ’ सीडीएस के नाम से यह पद प्रचलित है। कनाडा सैन्य बलों में वरिष्ठतम अधिकारी होता है।

जापान : ‘चीफ ऑफ स्टाफ, जॉइंट स्टाफ’ के नाम से जाना जाता है। जापानी सुरक्षा बलों का मुखिया होता है।


विडियों समाचार