कड़वा सचः उत्तर प्रदेश में 59 करोड़ पौधे लगे फिर भी 100 वर्ग किमी घटी हरियाली

कड़वा सचः उत्तर प्रदेश में 59 करोड़ पौधे लगे फिर भी 100 वर्ग किमी घटी हरियाली

पर्यावरण संरक्षण को लेकर बीते कई वर्षों की तमाम कवायदों व मंथन के बीच नया साल एक कड़वा सच सामने लेकर आया है। प्रदेश का ट्री कवर (वृक्षावरण) 100 वर्ग किलोमीटर घट गया है। यह परिणाम तब है, जब पिछले 7 साल में 59 करोड़ पौधे रोपे गए।

मतलब साफ है कि या तो सिर्फ कागजों में पौधरोपण हुआ या फिर इन्हें लगाकर लावारिस छोड़ दिया गया। जिम्मेदार लोगों ने इनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए।

बीते 30 दिसंबर को जारी फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदेश में वर्ष 2017 में ट्री कवर (वृक्षावरण) 7442 वर्ग किलोमीटर था, जो वर्तमान में घटकर 7342 वर्ग किलोमीटर रह गया है।

पिछले सात वर्षों में जंगल क्षेत्र के बाहर भी अन्य विभागों, पंचायतों, सामाजिक संगठनों व संस्थाओं के सहयोग से करोड़ों पौधे रोपे गए। 2013-2014 में ही करीब 11 करोड़ पौधे लगाए गए थे, जो अगर जिंदा बचते तो एफएसआई की वर्ष 2019 की सेटेलाइट रिपोर्ट में हर हाल में प्रभाव छोड़ते। यह इस वजह से कहा जा रहा है क्योंकि कई बार पौधे रोपे जाने के 3-4 साल बाद इतने बड़े हो पाते हैं कि सेटेलाइट उन्हें गणना के लिए पकड़ सके।

पौधरोपण के साथ ही पौधों की सुरक्षा को भी हमें जनांदोलन बनाना होगा। सिर्फ पेड़ लगाकर काम नहीं चलेगा। इसके लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है।
-डॉ. प्रभाकर दुबे, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, सामाजिक वानिकी, उत्तर प्रदेश

एक पौधा लगाने पर खर्च होता है 4.28 रुपये
परंपरागत ढंग से किए जाने वाले पौधरोपण में प्रति हेक्टेयर 1325 पौधे लगाए जाते हैं। वर्तमान दरों पर व्यय 5250 रुपये प्रति हेक्टेयर आता है। यानी, एक पौधा लगाने में 4.28 रुपये खर्च होते हैं। वहीं, हरित पट्टी मॉडल के तहत पौधरोपण करने पर प्रति हेक्टेयर 625 पौधे लग पाते हैं। प्रति हेक्टेयर 8850 रुपये और प्रति पौधा 14.16 रुपये लागत आती है। हरित पट्टी मॉडल में आरसीसी खंभों और कांटेदार फेंसिंग का प्रयोग होता है।