जमीअत की लड़ाई संगठन से नहीं सरकार से है

कार्यकारी समिति की बैठक में मौलाना अरशद मदनी बोले-भारत फासीवाद की चपेट में है
नई दिल्ली: जमीअत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारी समिति की बैठक शुक्रवार को दिल्ली में हुई। इसमें जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी समेत देश के कई स्कॉलर शामिल हुए। यहां देश की मौजूदा हालात, सांप्रदायिक तनाव, मदरसों-मस्जिदों के खिलाफ अभियान और असम में मुस्लिम बस्तियों को तोड़े जाने के मुद्दे पर चर्चा की गई। फिलिस्तीन में इजराइल की कार्रवाई को भी मानवता के खिलाफ आतंक बताया गया।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि देश में मुसलमानों पर योजनाबद्ध तरीके से हमले किए जा रहे हैं। हिंदू-मुसलमान करने के अलावा सरकार और सांप्रदायिक ताकतों के पास कोई मुद्दा नहीं है। सत्ता परिवर्तन के बाद जो घटनाएं हो रही हैं, उससे साफ है कि भारत फासीवाद की चपेट में आ चुका है।मौलाना मदनी ने असम में चल रहे निष्कासन अभियान को सबसे खतरनाक बताया। उन्होंने कहा- मुस्लिम बस्तियों को अवैध बताकर ढहाया जा रहा है। सीएम खुलेआम कह रहे हैं कि हम सिर्फ ‘मियां मुसलमानों’ को हटाएंगे और उनके नाम वोटर लिस्ट से काट देंगे। सवाल ये है कि क्या अब देश में कानून नहीं बचा? क्या मुख्यमंत्री का फरमान ही कानून है? उन्होंने कहा कि जमीअत जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी।
